*सिक्खों के पांचवे गुरु गुरु अर्जुन देव की शहादत दिवस चेतना तिराहे पर मनाया*
*सिक्खों के पांचवे गुरु गुरु अर्जुन देव की शहादत दिवस चेतना तिराहे पर मनाया*
गोरखपुर। चेतना तिराहे पर गुरुद्वारा जटाशंकर के सिक्ख समुदाय मोहदीपुर सिख समुदाय पैडलेगंज सिख समुदाय जगनैन सिंह नीटू के नेतृत्व में राह चलते हुए राहगीरों को ठंडे पानी व खाद्य पदार्थ खिलाकर पुनीत कार्य करने का कार्य किया सदर विधायक डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि सिक्खों के पांचवे गुरु गुरु अर्जुन देव की शहादत अतुलनीय है। मानवता के सच्चे सेवक धर्म के रक्षक शांत और गंभीर स्वभाव के स्वामी गुरु अर्जुन देव अपने युग के सर्वमान्य लोकनायक थे जो दिन-रात संगत की सेवा में लगे रहते थे। उनके मन में सभी धर्मों के प्रति अथाह सम्मान था। श्री गुरु अर्जुन देव के बाद गुरु हरगोबिंद साहिब ने शांति के साथ-साथ हथियारबंद सेना तैयार करनी बेहतर समझी तथा मीरी-पीरी का संकल्प देते हुए श्री अकाल तख्त साहिब की रचना की। गुरु अर्जुन देव जी ने गुरु ग्रंथ साहिब का संपादन भाई गुरदास की सहायता से किया और रागों के आधार पर ग्रंथ साहिब में संकलित बाणियों का जो वर्गीकरण किया है उसकी मिसाल मध्यकालीन धार्मिक ग्रंथों में दुर्लभ है। सिख धर्म में सबसे पहली शहीदी पांचवें सिख गुरु अर्जुन देव जी की हुई। शांति के पुंज शहीदों के सरताज अर्जुन देव जी को मुगल बादशाह जहांगीर ने अकारण ही शहीद कर दिया। अकेला शहीद ही नहीं किया बल्कि गुरु जी को ऐसी यातनाएं दीं कि सुनकर रूह कांप जाती है। ये यातनाएं अमानवीय थीं। विश्व को ‘सरबत दा भला’ का संदेश देने वाले तथा विश्व में शांति लाने की पहल करने वाले किसी गुरु को यातनाएं देकर शहीद कर देना मुगल साम्राज्य के पतन का भी कारण बना था।
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