39 गांवों पर स्वास्थ्य विभाग की विशेष नजर
39 गांवों पर स्वास्थ्य विभाग की विशेष नजर
संतकबीरनगर में जपानी इंसेफलाइटिस व एईएस बीमारी पिछले वर्षों में कहर बरपाती रही है। जिलें में 39 ऐसे गांव हैं जो संवेदनशील श्रेणी में हैं। इन गांवों में एक से अधिक एईएस या जेई के रोगी पाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की नजर इन्हीं गांवों पर हैं। इसी के सथ शहरी क्षेत्र के दो मोहल्ले हैं जहां पर जेई के रोगी पाए गए थे।
जापानी इंसेफलाइटिस और एईएस की बीमारी की तादाद में कमी आई है, लेकिन अभी भी स्थिति चिंताजनक है। 2018 जिले में 113 रोगी पाए गए थे। इसमें सात रोगी जेई के थे और इनमें से किसी भी मरीज की मौत हुई है। दूसरी ओर 106 एईएस के रोगी पाए गए थे, जिसमें नौ रोगियों की मौत इलाज के दौरान हो गई है। इस वर्ष दस ऐसे गांव चिन्हित किए गए, जिसमें एक से अधिक रोगी पाए गए थे। इसमें सेमरियावां ब्लाक का गंगोली, राउतपार, सिंहोरवा, सांथा ब्लाक का बनौली और सुकरौली गांव है। बघौली ब्लाक के सजौली और देवकली, नाथनगर के भिनखिनी खुर्द ओर झकही गांव में रोगियों की तादाद अधिक रही। इसके अलावा बेलहर कला ब्लाक के मीरापुर गांव में जेई-एईएस के रोगी पाए गए थे।
वर्ष 2017 में जिले में 29 गांव में जेई और एएईएस के रोगी मिले :
वर्ष 2017 में जिले में 29 गांव में जेई और एएईएस के रोगी पाए गए थे। इसमें शहरी क्षेत्र के दो मोहल्ले थे। इसमें एक मगहर और दूसरा खलीलाबाद पालिका क्षेत्र के मड़या मोहल्ले में रोगी पाए गए थे। इसी प्रकार सेमरियावां ब्लाक में छह गांव, हैंसर में पांच, बेलहर कला और मेंहदावल गांव में एक एक सांथा में दो, बघौली और नाथनगर में चार-चार गांवों में अधिक रोगी पाए गए थी। इस वर्ष जिले में जेई और एईएस के 221 रोगी पाए गए थे। इसमें 200 एईएस के रोगी थे, जिनमें 35 रोगियों की इलाज के दौरान मौत हो गई थे। इसके अलावा 21 जेई के रोगी में से पांच रोगी की मौत हुई थी। इन्हीं दो वर्ष के आंकड़ों को स्वास्थ्य विभाग गंभीरता से देख रहा है।
मुकम्मल होगी व्यवस्था :
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. हरगोविंद सिंह ने बताया कि संवेदनशील गांव में विभाग की विशेष नजर है। इन गांवों में जन जागरूकता अभियान चलाने के साथ-साथ इलाज की मुकम्मल व्यवस्था होगी। गांव में किसी भी बुखार के रोगी को ईटीसी सेंटर पर भर्ती कर इजाज किया जाएगा।
वर्ष 2017 में जिले में 29 गांव में जेई और एएईएस के रोगी मिले :
वर्ष 2017 में जिले में 29 गांव में जेई और एएईएस के रोगी पाए गए थे। इसमें शहरी क्षेत्र के दो मोहल्ले थे। इसमें एक मगहर और दूसरा खलीलाबाद पालिका क्षेत्र के मड़या मोहल्ले में रोगी पाए गए थे। इसी प्रकार सेमरियावां ब्लाक में छह गांव, हैंसर में पांच, बेलहर कला और मेंहदावल गांव में एक एक सांथा में दो, बघौली और नाथनगर में चार-चार गांवों में अधिक रोगी पाए गए थी। इस वर्ष जिले में जेई और एईएस के 221 रोगी पाए गए थे। इसमें 200 एईएस के रोगी थे, जिनमें 35 रोगियों की इलाज के दौरान मौत हो गई थे। इसके अलावा 21 जेई के रोगी में से पांच रोगी की मौत हुई थी। इन्हीं दो वर्ष के आंकड़ों को स्वास्थ्य विभाग गंभीरता से देख रहा है।
मुकम्मल होगी व्यवस्था :
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. हरगोविंद सिंह ने बताया कि संवेदनशील गांव में विभाग की विशेष नजर है। इन गांवों में जन जागरूकता अभियान चलाने के साथ-साथ इलाज की मुकम्मल व्यवस्था होगी। गांव में किसी भी बुखार के रोगी को ईटीसी सेंटर पर भर्ती कर इजाज किया जाएगा।
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