सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, फ्लैट खरीददार तय सुविधाएं नहीं मिलने पर भी मुआवजे के हकदार
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कब्जा मिलने में देरी के अलावा फ्लैट खरीददार सुविधाओं के संबंध में डेवलेपर द्वारा अपना वादा निभाने में विफल रहने के लिए भी मुआवजे के हकदार हैं। इसके अलावा वे डेवलेपर्स के साथ किए गए समझौते में तय धनराशि से अधिक का मुआवजा पाने के भी अधिकारी हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के उस आदेश को रद कर दिया जिसमें उसने दो जुलाई, 2019 को 339 फ्लैट खरीददारों की शिकायत को खारिज कर दिया था।
एनसीडीआरसी ने फ्लैट खरीददारों की शिकायत खरिज करते हुए कहा था कि वे देरी से कब्जे या वादे के अनुरूप सुविधाएं नहीं मिलने की स्थिति में फ्लैट खरीद समझौतों में निर्धारित की गई राशि से अधिक मुआवजे के हकदार नहीं हैं।
खरीददारों ने बेंगलुरु में डीएलएफ सदर्न होम्स प्राइवेट लिमिटेड (अब बेगुर ओएमआर होम्स प्राइवेट लिमिटेड) में आवासीय फ्लैट बुक कराए थे। इस परियोजना को 27.5 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जा रहा था और इसमें 19 फ्लोर की 19 टावरों में 1980 इकाइयों का निर्माण किया जाना था।
खरीददारों ने कब्जा देने में देरी, क्लब हाउस समेत तय सुविधाओं के अभाव जैसे कई मसलों को लेकर एनसीडीआरसी में शिकायत दाखिल की थी। फ्लैट खरीददारों ने कब्जा देने में देरी के लिए मुआवजा, समझौते के तहत कर और ब्याज की राशि की वापसी, बिजली के लिए बिल्डर द्वारा वसूली गई राशि, क्लब हाउस नहीं बनाने पर राशि वापस दिलाने का अनुरोध किया था। एनसीडीआरसी ने यह तो माना था कि फ्लैट पर कब्जा देने में देरी हुई लेकिन कहा था कि खरीददार समझौते में जिस राशि पर सहमत हुए उससे अधिक के मुआवजे के लिए अतिरिक्त राशि के लिए अधिकृत नहीं हैं।
इस मामले में 53 पन्नों का फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति केएम जोसफ की पीठ ने कहा कि हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि एनसीडीआरसी द्वारा शिकायत को खारिज करना गलत है। फ्लैट खरीददार कब्जा मिलने में देरी और बिल्डर द्वारा सुविधाएं देने के वादे को पूरा करने में विफल होने पर मुआवजे के हकदार हैं। अदालत ने कहा कि इस मामले में अपील को अनुमति दी जाती है। हम एनसीडीआरसी के दो जुलाई 2019 के उपभोक्ता की शिकायत को रद करने के फैसले को निरस्त करते हैं। फ्लैट मालिक समझौते से अधिक राशि बतौर मुआवजा लेने के लिए अधिकृत हैं।
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