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    बुजुर्ग घरों में कैद, अर्थव्यवस्था को भी पहुंची चोट

    देवरिया: कोरोना काल में सर्वाधिक परेशानी से वरिष्ठ नागरिक जूझ रहे हैं। संक्रमण के भय से वे चाह कर भी घर से बाहर नहीं निकल पा रहे। किसी ने किताबों को अपना साथी बनाया है तो कोई टीवी व अखबार के माध्यम से समय काट रहा है। घरों में कैद रहने की वरिष्ठ नागरिकों की पीड़ा है तो कोरोना संक्रमण के दौर में वे देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचने के साथ ही बेरोजगारी को लेकर भी चितित हैं। जागरण ने वरिष्ठ नागरिकों से बात की तो उन्होंने खुल कर विचार व्यक्त किए।

    पकड़ी बाबू के सच्चिदानंद शाही ने कहा कि पंडित नेहरू के समय से देश की कई पीढ़ी को बदलते देखा लेकिन कोरोना महामारी से जो हालात उपजे हैं वह भविष्य के लिए ठीक नहीं है। चाह कर भी स्वास्थ्य कारणों से घर से नहीं निकल सकते। कोरोना से देश की अर्थव्यवस्था को काफी गहरी चोट पहुंची है।

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