अयोध्या पौराणिक इतिहास में भारत की पवित्र सात पुरियों में सर्वप्रथम- प्रो. डी. पी. तिवारी
बांसगांव संदेश ब्रह्मपुर : अयोध्या पौराणिक इतिहास में भारत की पवित्र सात पुरियों में सर्वप्रथम है।उक्त विचार प्रो० डी० पी० तिवारी कुलपति ,बीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय आरा (बिहार) ने आज अखिल भाग्य महाविद्यालय रानापार, गोरखपुर के इतिहास विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार "इतिहास के आईने में अयोध्या " में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि अयोध्या नगरी की स्थापना विवस्वान सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु द्वारा की गयी। अयोध्या को अथर्ववेद व तैत्तरीय उपनिषद में देवताओं की नगरी कहा गया। उन्होंने यह भी कहा कि जैन तीर्थकरों में प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव की जन्मभूमि अयोध्या थी। कम्प्यूटर के प्लेनेटेरियम साफ्टवेयर नामक नयी विधि के द्वारा उन्होंने अयोध्या की तिथि निकालने का उल्लेख किया जो काफी पुराना है।
दी० द०उ० गोरखपुर विश्वविद्यालय की पूर्व विभागाध्यक्ष प्राचीन इतिहास प्रो ० विपुला दूबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि अयोध्या का उल्लेख जैसा पुराणों में हुआ है वैसा ही उल्लेख आइन- ए- अकबरी में भी है। अयोध्या से मिले अभिलेखों में जयचन्द द्वारा बनवाये गये विष्णुहरि मंदिर का उल्लेख है। अठारहवीं सदी में जोसेफ टिफेनथेलर नामक फ्रांसीसी ने अपने हिन्दुस्तान के ऐतिहासिक एवं भौगोलिक विवरण में बताया कि उसने रामकोट नामक दुर्ग देखा। अर्ली ट्रैवेल इन इंडिया (1921) में विलियम फिंच के 1608-1611के भारत यात्रा के वृतांत का उल्लेख है कि अयोध्या में राम के दुर्ग व भवन खंडहर के रूप मे हैं। उसने अयोध्या से बहुत से तथ्य संकलित किये। अंतिम वक्ता के रुप में पूर्व शोध अध्येता दिल्ली विश्वविद्यालय डॉ० सम्पूर्णानन्द मल्ल ने कहा कि अयोध्या राजा हरिश्चंद्र और राम के सत्य एवं मर्यादा की नगरी है जिसका उल्लेख बाल्मीकि रामायण सहित सभी प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है, परन्तु दुर्भाग्यवश आज हम अयोध्या को उस सत्य एवं मर्यादा की नगरी के रूप में न देखकर मंदिर वाले नगर के रूप में देख रहे हैं। वेबीनार का संचालन के० एन० पाठक और आभार ज्ञापन डॉ० अभय प्रताप सिंह ने किया।
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