एक ही घर से 7 अर्थी निकली थी तो परिजनों के साथ रो पड़े ग्रामीण
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के रक्सेल गांव में जिस घर में दो दिन पहले चारों तरफ खुशियों का माहौल था, उसी घर से एक साथ सात लोगों की अर्थी निकली तो हर किसी का दिल दहल उठा। पत्नी, बेटे और पौत्र को कंधा देते वक्त राजेंद्र फफक पड़े तो वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। ग्रामीणों ने कहा कि भगवान ऐसा दिन किसी को ना दिखाए।
बता दें कि घटना सोमवार की सिद्धार्थनगर जिले के रक्सेल गांव की है ।
जहां रक्सेल गांव निवासी राजेंद्र के मझले बेटे मनील के दो बच्चों का मुंडन संस्कार मैरवा धाम (बिहार) में होना था। मैरवा जाने के लिए सुबह चार बजे परिवार के दस लोग कार में सवार होकर निकले थे। वे अभी घर से 15 किलोमीटर दूर पहुंचे थे कि उनका वाहन बढ़या गांव के पास पुलिया से टकराकर पलट गई टक्कर इतनी भीषण थी कि कार सवार दस लोगों में से छह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि चार गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में एक बच्चे की गोरखपुर में इलाज के दौरान मौत हो गई। हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में हाहाकार मच गया। वहीं देर शाम गांव में शव पहुंचे तो देखने के लिए ग्रामीणों की भारी भीड़ जुट गई। अंतिम संस्कार के लिए जब एक ही घर से सात लोगों की अर्थी निकली तो किसी की आखों से आंसू थम नहीं रहे थे ।
राजेंद्र बेटे उमेश और पत्नी सावित्री को मुखाग्नि देने के बाद पौत्र हिमांशु, शिवांशु और पौत्री शिवांगी के शव को पकड़कर दहाडे़ मारकर रोने लगे। पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाने के दौरान लोगों की आंखें नम हो गईं। उन्हें किस तरह सांत्वना दें लोगों को समझ में नहीं आ रहा था। नेपाल स्थित ससुराल को छोड़कर मायके रक्सेल में रह रही राजेंद्र की बेटी सरस्वती का अंतिम संस्कार उसके पति विशंभर ने किया । इस दर्दनाक मंजर देख कर ग्रामीणों के भी आंसू नहीं थम रहे थे।
कोई टिप्पणी नहीं
thanks for comment...