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    कर्मचारी /अधिकारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा का हुआ गठन

    उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम
     
    गोरखपुर ।उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम गोरखपुर क्षेत्र में कर्मचारी अधिकारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया। जिसमें निम्न पदाधिकारी चुने गए। संयोजक पद पर श्री कृष्ण चंद्र श्रीवास्तव, सहसंयोजक रमेश तिवारी, दुर्गा प्रसाद यादव, सिद्धनाथ सिंह, सचिव अशोक कुमार सिंह, प्रवक्ता महेश राय, विनोद तिवारी, कोषाध्यक्ष पद पर नुरुल हसन की सर्वसम्मति से चयन किया गया। उपरोक्त पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अपने सात सूत्री मांगों के समर्थन में प्रत्येक डिपो शाखा में दिनांक 23 नवंबर 2020 को एवं गोरखपुर डिपो में दिनांक 24 नवंबर 2020 को आम सभा की जाए तथा दिनांक 25 नवंबर 2020 को अपनी मांगों के समर्थन में क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय गोरखपुर पर एक दिवसीय धरना दिया जाएगा । जिसमें कोविड-19 से बचाव हेतु सभी प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया जाएगा। कर्मचारी /अधिकारी संयुक्त मोर्चा के प्रमुख मांगे जो इस प्रकार हैं।-- राष्ट्रीयकृत मार्गों पर निजी बसों के संचालन के लिए मोटर यान अधिनियम -102 के अंतर्गत मार्गों की योजनाओं को उपान्तरित करने की अपास्त कार्रवाई के बावजूद अवैधानिक तरीकों से निजी वाहन स्वामियों के लिए प्रारंभ की गई ऐसी समस्त योजनाएं /निर्णय निरस्त किए जाएं तथा इन मार्गों पर अवैध रूप से चल रही डग्गामार निजी वाहनों का संचालन बंद किया जाए। अंतर्राज्यीय परिवहन समझौते के नाम पर मोटर यान अधिनियम 1988 के उद्देश्यों व भावना के विपरीत अन्य राज्यों के निजी बस संचालकों के हित पूर्ति न कर उत्तर प्रदेश राज्य हेतु मोटर यान अधिनियम 1988 की उपलब्ध प्राविधा 103-1(A)के अनुसार निकट राज्यों का संचालन राज्य की सीमा के निकट उपलब्ध परिवहन निगम की इकाई योजना द्वारा किया जाए। 31 दिसंबर 2001 तक नियुक्त संविदा चालकों, परिचालकों को नियमित नियुक्ति प्रदान कर के साथ ही शेष संविदा चालकों परिचालकों के चरण बद्ध नियमितीकरण की योजना बना कर इन्हें भी नियमित किया जाए। सीधी भर्ती के सभी समर्थकों में रिक्त पदों को नियमित नियुक्ति द्वारा भरा जाए। बकाया महंगाई भत्ते की किस्तों का देय दिनांक से भुगतान कराया जाए। मृतक आश्रितों को नियमित नियुक्ति प्रदान की जाए। परिवहन निगम कर्मीयों  के विरुद्ध सेवानिवृत्ति के 4 वर्ष उपरांत तक सतही एवं कथानक आधारित कार्रवाई हेतु पूर्व में शासन द्वारा अस्वीकृत प्रस्ताव को पुनः आरोपित किए जाने की प्रक्रिया तत्काल समाप्त की जाए। राज्य सरकार यदि किसी वृहद नीति के अंतर्गत यात्री सड़क परिवहन क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने या निजी करण के माध्यम से सेवा योजना के अवसर विकसित करने के नाम पर कोई मॉडल स्थापित करना चाहती है तो इसे पूर्व की भांति राज्य की रोडवेज घोषित किया जाए।

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