कभी अंग्रेजों का खून सूख जाता था झांसी के नाम से, अब यहां के बच्चों का सूख रहा खून
झांसी। जिस झांसी की सरजमीं का नाम सुनकर ही कभी अंग्रेजों का खून सूख जाया करता था और यहां के वीरों के आगे वो खड़े नहीं हो पाते थे, आज उसी झांसी की वीरभूमि के नौनिहाल अपने पैरों पर खड़े होने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहे हैं। उनके पैर बेजान हो गए हैं और बच्चों से लेकर महिलाओं तक में खून की बेहद कमी हो गई है। यहां के 40 फीसदी बच्चों में खून की कमी है। यही नहीं इतने ही फीसदी बच्चों को छह महीने तक मां का दूध नहीं मिल पाता है।
कुपोषण दूर करने के लिए सरकारी दावे और वादे जमीनी हकीकत से काफी दूर हैं। खून की कमी और कमजोर शरीर ने बच्चों के चेहरों की रौनक ही उड़ा दी है। न तो उनका खेलने-कूदने में मन लगता है और न ही पढ़ाई-लिखाई में। पैर बेजान होने के कारण बच्चे खड़े नहीं हो पा रहे हैं। बौनेपन की समस्या भी बच्चों में आम हैं। यह हालात झांसी के किसी एक गांव के नहीं, बल्कि हर इलाके के हैं। अमर उजाला की ग्राउंड रिपोर्ट में कुछ ऐसी स्थिति सामने आई है।
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