उर्स-ए-पाक कल दोपहर दो बजे,
उर्स-ए-पाक कल : 31 दिसंबर 2020 : दोपहर दो बजे से : 15 जमादी-उल-अव्वल 1442 हिज़री : गोरखपुर - जानिए हज़रत शाह मारूफ अलैहिर्रहमां की तारीख़
गोरखपुर। सूफी वहीदुल हसन की किताब 'मशायख-ए-गोरखपुर' के पेज नं. 33, 34 व 35 पर हज़रत सैयद शाह मारूफ अलैहिर्रहमां का जिक्र है। वह लिखते हैं कि इस शहर के मशहूर रईसों में रईस बुजुर्ग और शैखे़ तरीकत हज़रत सैयद शाह मारूफ अलैहिर्रहमां भी गुजरे हैं। आपका हसब व नसब 28 वास्ते से हज़रत जाफर तय्यार रजियल्लाहु अन्हु से जा मिलता है। आपके वालिद मोहतरम हज़रत सैयद शाह अब्दुर्रहमान अलैहिर्रहमां बादशाह मुअज्जम शाह के शासनकाल में गोरखपुर तशरीफ लाए और यहीं बस गए। आज तक आपकी औलादों का सिलसिला जारी व सारी है। हज़रत सैयद शाह मारूफ का सिलसिले में हज़रत सैयद शाह बायजीद अलैहिर्रहमां, हज़रत ख्वाजा सैयद महमूद अलैहिर्रहमां, हज़रत शाह सैयद रहीमुल्लाह, हज़रत सैयद शाह फतह अली, सैयद मौलवी फजले अजीम, हज़रत शाह सैयद मो. मसाहिब वगैरा जय्यद बुजुर्ग और अल्लाह वाले सज्जादानशीन और मशायख-ए-तरीकत हुए हैं। हज़रत सैयद शाह मारूफ को जुमाला सलासिल में इजाजत व खिलाफत थीं। मोहल्ले का नाम भी आपके ही की जात से मशहूर व मंसूब है। इसे मोहल्ला शाह मारूफ ही कह कर गोरखपुर के लोग पुकारते हैं। आपके बेशुमार मुरीद थे। अवाम को आपके दौर में इस्लाहे बातिन नसीब हुई। इबादत, खिदमते खल्क।, इशार और खुश खुल्की का आप बेहतरीन नमूना थे। बुजुर्गों के और सल्फ के आसार व तबर्रुकात आज भी आपके खानदान में बशक्ले कुलाह, खिरका, रुमाल, पगड़ी, जुब्बा वगैरह मौजूद है। मौलवी सैयद फजले अजीम सदरुश सुदूरी के हाकिम भी थे। आपके खानदान की एक शाख मुहल्ला अलीनगर में आबाद है। वहां भी बुजुर्गों के मजारात हैं और सिलसिला-ए-तरीकत उस शाख से भी जारी व सारी है। हज़रत सैयद शाह मारूफ के खानदान के मुताल्लिक मियां साहब सैयद अहमद अली शाह अपनी किताब महबूबुत तवारीख में लिखते हैं कि
*"मशायख बड़े शाह मारूफ थे, बुजुर्गी में वो शाह मारूफ थे।*
*उन्हीं की जगह शाह मारूफ है, मोहल्ले में इस्म उनका मौसूफ है।*
*है औलाद भी उनकी यकसर सलीम, सफीक व रफीक व खलीको हलीम।*
*अजां जुमला था एक फजले अजीम, थे रावी के अजबस रफीक व नदीम।*
*वो पक्के जबरदस्त आलिम भी थे, ये सदरुश सुदूरी के हाकिम भी थे।*
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