Header Ads

ad728
  • Breaking News

    टीबी हारेगा, देश जीतेगा’’ थीम के साथ 12 जनवरी तक चलेगा अभियान


    गोरखपुर, 05 जनवरी 2021

    जिले में ‘‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’’ थीम के साथ सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान जिले में 12 जनवरी तक चलेगा। इस अभियान की शुरूआत राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत दो जनवरी से की गयी है। अभियान के लिए 318 टीम क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. रामेश्वर मिश्र ने दी। उन्होंने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर प्रसाद पांडेय की देखरेख में अभियान चल रहा है और इसकी सफलता के लिए जनसहयोग नितांत आवश्यक है। अभियान में 9.67 लाख लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य  है। 

    उन्होंने बताया कि पहले चरण का अभियान अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा, नवोदय विद्यालय, जिला कारागार, अन्य कारागार एक, दो एवं तीन में 26 दिसम्बर से दो जनवरी तक चलाया गया, जिसमें 1795 लोगों की टीबी के लक्षणों के आधार पर स्क्रीनिंग की गयी थी। इनमें से कुल 12 लोग टीबी पॉजीटिव पाए गए जिनका इलाज शुरू कर दिया गया है।

    डीटीओ ने बताया कि पिछले दिनों चले अभियान में कुल 1729 लोगों की कोविड जांच भी की गयी थी, लेकिन सभी लोग कोविड निगेटिव पाए गए। पिछले दो जनवरी से शुरू होकर 12 जनवरी तक चलने वाले अभियान में भी कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग की जाएगी। आवश्यकतानुसार मरीजों की कोविड जांच के भी दिशा-निर्देश हैं। अभियान में सहयोग के लिए 71 पर्यवेक्षक, 38 लैब टेक्निशियन और 21 चिकित्सा अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गयी है। उन्होंने बताया कि 20 दिसम्बर तक इस साल जिले में  सरकारी क्षेत्र से 4510 टीबी रोगी, जबकि निजी क्षेत्र से 3502 टीबी रोगी चिन्हित किये गये हैं जिनका इलाज चल रहा है। दोनों चरण के अभियान के दौरान जो भी नये टीबी रोगी चिन्हित किये जाएंगे उनको निःशुल्क इलाज के साथ-साथ 500 रुपये प्रति माह पोषण के लिए भी दिये जाएंगे।

    बाल रोगियों को गोद लेने की अपील

    डीटीओ ने जनसमुदाय से अपील की है कि टीबी के बाल रोगियों को गोद लेने के लिए खुद आगे आएं। कोई भी व्यक्ति, संस्था और संगठन टीबी के बाल रोगियों को गोद लेकर उनकी निगरानी व सहयोग कर सकता है। उन्होंने बताया कि एक अगस्त 2019 से 25 दिसम्बर 2020 तक जिले में कुल 2158 बाल रोगी पाए गए। इन रोगियों की उम्र शून्य से 18 वर्ष के बीच है। इनमें से 54 रोगियों को  गोद लिया गया जिनमें से 41 स्वस्थ हो चुके हैं। जिले में 458 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें गोद देने की प्रक्रिया चल रही है।

    टीबी के लक्षण

    डीटीओ ने बताया कि अगर किसी को दो सप्ताह से ज्यादा का बुखार आने, 14 दिनों सें खाँसी आने, सीने में दर्द रहने, खाँसी के साथ मुंह से खून आने, भूख कम लगने, वजन के घटने, बच्चों में वजन के न बढ़ने और रात में पसीना आने जैसे लक्षण हैं तो यह टीबी का लक्षण हो सकता है। ऐसे लोगों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच करवानी चाहिए। अगर टीबी की पुष्टि हो जाए तो खांसते और छींकते समय टीश्यू पेपर या रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए। बलगम को मिट्टी से दबा देना चाहिए। अपने कपड़े आदि अलग इस्तेमाल करना चाहिए। जब तक पूरी दवा न हो जाए बीच में इलाज नहीं बंद करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से टीबी घातक रूप अख्तियार कर लेता है।

    भेदभाव करना ठीक नहीं
    रोग होने के बावजूद लोग टीबी का लक्षण इसलिए छिपाते हैं कि कहीं उन्हें भेदभाव का शिकार न होना पड़े। लोगों से आग्रह है कि जब मेडिकल टीम उनके घर जाए तो खुल कर लक्षणों के बारे में बात करें। अगर एक टीबी रोगी का समय से इलाज न हो तो वह 10-12 लोगों के बीच बीमारी बांट सकता है। इसलिए समय से रोग की पहचान और संपूर्ण इलाज से ही इस बीमारी का उन्मूलन किया जा सकता है। टीबी रोगियों के प्रति भेदभाव की भावना अपनाना उचित नहीं है। सतर्कता के व्यवहार से टीबी रोगी से भेदभाव किये बिना भी इस बीमारी से बचा जा सकता है।

    डॉ. सुधाकर प्रसाद पांडेय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

    कोई टिप्पणी नहीं

    thanks for comment...

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728
    ad728