सरकार द्वारा एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत निःशुल्क है आईएफए संपूर्णन की सुविधा
गोरखपुर, 16 जनवरी 2021
गर्भवती, धात्री और पांच वर्ष तक बच्चों में एनीमिया की पहचान और उसका समुचित प्रबंधन नितांत आवश्यक है। इसके लिए सरकार द्वारा एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत निःशुल्क आईएफए (आयरन फॉलिक एडिस) संपूर्णन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। गर्भवती के लिए एनीमिया ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इसलिए यह ध्यान देना होगा कि अगर किसी गर्भवती में हीमोग्लोबिन का स्तर 11 ग्राम प्रति डेसीलिटर या उससे अधिक है तो चिंता की बात नहीं है, लेकिन अगर यह स्तर 11 ग्राम प्रति डेसीलिटर से कम है तो इसका आशय है कि एनीमिया की शुरूआत हो चुकी है। यह कहना है जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी केएन बरनवाल का। उन्होंने बताया कि यह संदेश समुदाय तक पहुंचाने के लिए 60 ब्लॉक स्तरीय लोग प्रशिक्षित किये जा चुके हैं जो फ्रंटलाइन वर्कर्स को इस संबंध में प्रशिक्षित कर मुख्य संदेश को समुदाय तक पहुंचाएंगे।
उन्होंने बताया कि गर्भवती में हीमोग्लोबिन का स्तर 10 से 10.9 ग्राम प्रति डेसीलिटर होने पर माइल्ड एनीमिया, सात से 9.9 ग्राम प्रति डेसीलिटर होने पर मॉडरेट एनीमिया और अगर यह सात से भी कम है तो गंभीर एनीमिया का लक्षण है। माइल्ड और मॉडरेट एनीमिया के मामले में आईएफए की दो गोली रोजाना लेनी होती है। एक गोली सुबह लेना है और एक गोली शाम को लेना है। अगर किसी गर्भवती में गंभीर एनीमिया है तो उसे तुरंत स्वास्थ्य केंद्र संदर्भित किया जाना चाहिए। एनीमिया का सही प्रबंधन हो इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश है कि प्रत्येक गर्भवती की एनीमिया की जांच प्रसव पूर्व जांच के दौरान ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस (वीएचएनडी) सत्र में ही होना चाहिए। यह जांच एएनएम के पास उपलब्ध डिजीटल हीमोग्लोबिनमीटर अथवा कलर स्ट्रीप के माध्यम से होना चाहिए। जांच के बाद एमसीपी कार्ड पर परिणाम अंकित भी किया जाना चाहिए। आईएफए की गोली देने के साथ यह भी बताया जाता है कि इसके सेवन के बाद विटामिन-सी से भरपूर पदार्थ जैसे नींबू पानी, संतरे का जूस आदि का सेवन करें। गोली खाने के एक घंटे तक चाय या कॉफी का सेवन बिल्कुल न करें।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी ने बताया कि प्रसव के पश्चात धात्री महिला को छह महीने तक रोजाना आईएफए की एक लाल गोली का सेवन करना आवश्यक है। वीएचएनडी में धात्री महिलाओं को 180 लाल गोलियां दी जानी चाहिए। यह भी ध्यान रहे कि गर्भवती व धात्री महिलाओं को आईएफए के साथ कैल्शियम की गोली लेना भी आवश्यक है, लेकिन इसे एक साथ नहीं खाना है। दोनों के सेवन में कम से कम दो घंटे का अंतर अवश्य होना चाहिए। साथ-साथ खा लेने से कैल्शियम, आईएफए के अवशोषण में कमी ला देगा।
उन्होंने बताया कि अगर छह माह से पांच वर्ष तक के बच्चे में हीमोग्लोबिन का स्तर 11 ग्राम प्रति डेसीलिटर से कम है तो उसे एनीमिया है। अगर बच्चे को एनीमिया है तो उसे निकटम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) या फिर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ले जाया जाना चाहिए। वीएचएनडी सत्र के दौरान बच्चों की एनीमिया जांच आवश्यक है। बाल स्वास्थ्य पोषण माह के तहत बच्चों में एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। हर छह माह में अभियान चला कर बच्चों को एनीमिया की दवा पिलाई जाती है, जिसमें समुदाय का विशेष सहयोग अपेक्षित है।
सामुदायिक सहयोग से होगा खात्मा
एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसके खात्मे के लिए सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। प्रत्येक वीएचएनडी सत्र के अलावा सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर भी हीमोग्लोबिन की जांच निःशुल्क उपलब्ध है। लोगों से अपील है कि गर्भवती, धात्री, किशोरी और बच्चों के हीमोग्लोबिन की जांच अवश्य कराएं और अगर एनीमिया है तो चिकित्सकीय परामर्श से आईएफए संपूर्णन व अन्य आवश्यक उपचार प्राप्त करें।
*डॉ. सुधाकर पांडेय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी*
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