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    विश्वामित्र ने जन कल्याण के लिए राजा दशरथ से मांगे राम को आचार्य कृपाशंकर मुनि



    सहजनवा बांसगांव संदेश मुनि विश्वामित्र जी ने जब राजा दशरथ से राक्षसों के अंत के लिए  राम को मांगा, तो उनके होश उड़ गए । राजा ने कहा मुनि वर बहुत यत्न से बाद चौथे पन में  राम मुझे मिले हैं । राम को छोड़कर आप जो कुछ मांगेंगे तनिक भी देरी नहीं करूंगा ।  राज-पाट, स्त्री,धन और यहां तक प्राण भी देने के लिए तैयार हूं ।

    उक्त बातें अयोध्या धाम से पधारे आचार्य कृपा शंकर जी महाराज ने कहा । वह पाली विकासखंड के ग्राम सजनापार में श्री राम मानस महायज्ञ में व्यासपीठ से  शनिवार को छठे दिन श्रद्धालुओं को कथा रसपान करा रहे थे । उन्होंने कहा कि- राम के प्रति उनके पिता दशरथ जी के स्नेह को देखकर मुनि विश्वामित्र जी कुछ बोल नहीं  गए ।  
    सभा में उपस्थित गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को अनेक प्रकार से समझाया और कहा राजन ! राम जगत के कल्याण के लिए ही इस धरा धाम आए हैं । पिता के रूप में उनके प्रति आपका स्नेह स्वाभाविक । मुनि विश्वामित्र जी जगत कल्याण के लिए ही रात  लगे रहते हैं । उनका अपना कोई स्वार्थ नहीं होता है । इसलिए राम लक्ष्मण को साथ जाने की अनुमति प्रदान करें जिसे जगत का भला हो सके ।
      राम लक्ष्मण को साथ पाकर मुनि विश्वामित्र जी ने राजा दशरथ से कहा कि- राजन ! आज़ मैं राम के प्रति आप के अत्यंत स्नेह का कायल हूं । मैं समझ गया कि यही कारण है कि- राम आपके घर आए । वरना हम  आपसे बढ़कर तपस्वी और साधक हूं, भजन में रात-दिन लगा रहता हूं ।  परंतु राजन आप जैसा राम के प्रति मेरे हृदय में स्नेह नहीं है । हम वादा करते हैं कि- आप ने दो का दान दिया है, हम दूना करके लौटाएंगे । 
    कथा व्यास ने कहा कि- गृहस्थ चाहता भी यही है- गुरु की बातों को सुनकर  राज दरबार से लेकर रनिवास तक  खुश की लहर दौड़ पड़ी । उक्त अवसर पर- वीरेंद्र यादव, मनीष यादव, राम चयन चौधरी,हरिहर राज़,सुदामा चौधरी, शंकर चौधरी,हसनू चौधरी,संदीप मिश्रा,जुगानू, रामचंद्र वर्मा समेत कई लोग मौजूद थे ।

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