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    गोरखपुर; शिल्पीयों को प्रोत्साहित करने से देश तथा लोगों का होगा विकास: अपर आयुक्त


    शिल्पीयों को प्रोत्साहित करने से देश तथा लोगों का होगा विकास: अपर आयुक्त

    --बुनकरों को बढ़ावा देना उनकी स्थिति को मजबूत करना ही हस्तशिल्प का उद्देश्य है: गौरव सिंह सोगरवाल

    ---हस्तशिल्प बाजार का हुआ उद्घाटन


    गोरखपुर। कार्यालय विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित एवं आयोजक जनता ग्रामीण सेवा संस्थान संत कबीर नगर के द्वारा 10 दिवसीय शिल्प बाजार का उद्घाटन फिता काट कर किया गया। उद्घाटन के उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर, मुख्य अतिथि द्वारा स्टालों का अवलोकन किया गया । आयोजक मंडल द्वारा आए हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। शिल्प मेले के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि अपर आयुक्त प्रशासन अजय कांत सैनी ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक ही छत के नीचे भारत के विभिन्न राज्यों और जिलों की विभिन्न तरह की वस्तुएं लगाना निश्चित ही सरकार की योजनाओं को और शिल्पीयों को प्रोत्साहित करने से देश तथा लोगों का विकास के पथ पर अग्रसर होगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न तरह का स्टाल लगाना उत्साहवर्धक है। शिल्पीयों को और बेहतर करने के लिए उन्होंने प्रोत्साहित किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गौरव सिंह सोगरवाल ने बुनकरों को बढ़ावा देना उनकी स्थिति को मजबूत करना ही हस्तशिल्प का उद्देश्य है।  हस्तशिल्प के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। इस तरह का प्रयास सभी जगहों पर होना चाहिए। स्थानीय स्तर पर देखा जाए तो मुख्यमंत्री के शहर में टेराकोटा एक प्रमुख उत्पाद बन चुका है जो वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के तहत विश्व प्रसिद्ध हो चुका है। क्षेत्रीय निदेशक हस्तशिल्प विरेंद्र कुमार ने  अपने संबोधन में कहा कि  कोविड-19 के नाते शिल्पीयों के सामने  बहुत सी समस्याएं थी।   जिन्हें उबारने के लिए  देश के कई राज्यों और जिलों में भी  इस तरह के  शिल्प बाजार  लगाए गए हैं  ताकि  उनकी आय में वृद्धि हो सके।  शिल्प बाजार का आयोजन  होने से शिल्पीयों में  उत्साह बढ़ता है । हस्तशिल्प  संवर्धन अधिकारी श्रीराम जी त्रिपाठी ने संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह के  शिल्प बाजार के आयोजन से शिल्पीयों के रोजगार में वृद्धि होती है । समाजसेवी डॉ सैय्यद जमाल व हस्तशिल्प  संवर्धन अधिकारी विनय सिंह ने भी संबोधित किया। संस्थान के अध्यक्ष देवी प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि शिल्प मेले का आयोजन भव्य तरीके से हो चुका है। मेले में सिलीगुड़ी, रांची, वाराणसी, कानपुर, भदोही, राजस्थान समेत कई अन्य जिलों और राज्य से अपनी वस्तुएं और ऐतिहासिक सामान लेकर आ चुके हैं।श्री त्रिपाठी  बताया कि कूल 100 स्टाल लगे है
     जिसमें विश्व प्रसिद्ध गोरखपुर का टेराकोटा, भदोही का कारपेट, ड्राई फ्लावर,  खुर्जा का चीनी मिट्टी से निर्मित वस्तुएं, मधुबनी पेंटिंग, आगरा का लेदर, केले के पत्तियों की कलाकृतियां, लखनऊ का चिकन, बस्ती का प्रसिद्ध जरी, कोल्हापुरी चप्पल, जयपुर के आर्टिफिशियल ज्वेलरी, सहारनपुर के वुड कार्विंग, पिलखुआ हापुर के हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, फ़िरोज़ाबाद के गिलास डिजाइन, बिजनौर लकड़ी के खिलौने, बनारस के जरी से बने साड़ी और सूट, गाजीपुर का जूट क्राफ्ट, निजामाबाद का ब्लैक पाँटरी, पश्चिम बंगाल के आर्टिफिशियल ज्वेलरी आदि सहित भारत के विभिन्न प्रांतों की हस्तशिल्प एवं गृह उपयोगी वस्तुएं प्रदर्शनी बिक्री हेतु उपलब्ध है। शिल्प बाजार में सहयोग के रूप में फरहान अंसारी, परवेज, कमाल असरफ समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।

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