शरीर एक किराए का मकान है इससे एक दिन छोड़ना पड़ेगा .कृपा शंकर जी
सहजनवा बांसगांव संदेश संसार में अनेक विचार विचारों के लोग होते हैं और सबका भिन्न-भिन्न मत भी है-निम्न विचार वाले कहते हैैं कि- यह भी मेरा है, वह भी तेरा है । वहीं मध्यम विचार वाले कहते हैं कि- यह मेरा है वह तेरा है, पर उत्तम विचार वालों का कहना है कि- ना तेरा है,ना मेरा है यह जगत एक चिड़िया रैन बसेरा है । एक दिन सब कुछ छोड़कर जाना ही होगा ।
उक्त बातें- अयोध्या धाम से पधारे आचार्य कृपा शंकर दास जी महाराज ने कहा, वह पाली विकासखंड के ग्राम सजनापार में श्रीराम मानस महायज्ञ के चौथे दिन व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को कथा रसपान करा रहे थे । उन्होंने कहा कि-शरीर और संसार के सभी संबंध अनित्य हैं, एक निश्चित सीमा तक हैं । इसे एक दिन न चाह कर भी छोड़ देना पड़ेगा । इसलिए समय रहते चेत लेना मनुष्य की सबसे बड़ी बुद्धिमानी है ।
परमात्मा का दिया हुआ मानव शरीर उसका सबसे उत्तम घर है, उस पर किसी तरह का दाग नहीं लगने देना चाहिए ।
मनुष्य यदि चूक गया, तो अंत में पछताने के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं लगेगा । उत्तम मानव शरीर पाकर यदि हिंसा, अपराध,व्यविचार व अन्य बुरे काम होते हैं, तो यह उसकी लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है ।
कथा व्यास ने कहा कि- परमात्मा ने हमें निर्मल,पाप मुक्त एवं विकारों से रहित मानव शरीर दिया था । संसार में इसे गंदा होने से बचाना चाहिए । और अंत घरी में उसी रूप में सौंप देना मनुष्य की सबसे उत्तम भक्ति है । जिस पर परमात्मा सदा रिझता है । परमात्मा का सब कुछ मान कर यदि अनुसरण करता रहता है, तो वह सदा पाप मुक्त बना रहता है ।
उक्त अवसर पर-वीरेनद्र यादव, मनीष यादव, शर्माजीत चौधरी, रामपाल, सुदामा चौधरी, माधव, बेचन,इंद्रजीत, त्रियुगी, मनोज, रामविलास चौधरी,राम चयन चौधरी, राम रूप, संगीता देवी, फूल वासी देवी,निरंजना देवी, सरिता देवी, रामानंद समेत कई लोग मौजूद थे ।
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