आदर्श है स्वामी विवेकानंद का संपूर्ण जीवन : प्रेम शंकर मिश्र
गोला गोरखपुर । स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मंगलवार को चंद्रदेव सेवा संस्थान के सदस्यों ने उनकी स्मृति चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये हियुवा भारत के राष्ट्रीय संयोजक प्रेमशंकर मिश्र ने कहा कि विवेकानन्द बड़े स्वप्नदृष्टा थे। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जिसमें धर्म या जाति के आधार पर मनुष्य-मनुष्य में कोई भेद न रहे। उन्होंने वेदान्त के सिद्धान्तों को इसी रूप में रखा।अध्यात्मवाद बनाम भौतिकवाद के विवाद में पड़े बिना भी यह कहा जा सकता है कि समता के सिद्धान्त का जो आधार विवेकानन्द ने दिया, वह हमारी संस्कृती का मूलाधार है, उनको युवकों से बड़ी आशाएँ थीं। आज के युवकों के लिये इस ओजस्वी सन्यासी का जीवन एक आदर्श है । श्री मिश्र ने आगे कहा कि आज भारत को सुरक्षित सम्बृद्धित और विकसित करने हेतु स्वामी विवेकानंद के कथन को संविधान की तरह अंगीकृत करना होगा । शिक्षक ओमप्रकाश मिश्र व सभासद सुनील यादव व बबलू यादव ने कहा कि अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा' यह स्वामी जी का दृढ़ विश्वास था। संतोष यादव, सार्जन सोनकर, गुलशन कुमार यादव व अखिलेश कुमार मिश्र ने कहा कि अमेरिका से लौटकर उन्होंने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा था, नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भड़भूँजे के भाड़ से, कारखाने से, हाट से, बाजार से, निकल पडे झाड़ियों, जंगलों, पहाड़ों, पर्वतों से और जनता ने स्वामीजी की पुकार का उत्तर दिया, वह गर्व के साथ निकल पड़ी। मंटू हरिजन, त्रिभुवन यादव, शरद यादव, नितेश चौधरी, अजय साहनी व रविभान प्रजापति ने भी संबोधित किया । रुद्रेश मिश्र, सत्येंद्र प्रजापति, अमन यादव, अनूप यादव, विशाल यादव आदि उपस्थित थे ।
कोई टिप्पणी नहीं
thanks for comment...