सोहनाग:सरोवर में स्नान करने से ठीक हो जाता है चर्मरोग
रुपेश बरनवाल, सलेमपुर:
तहसील क्षेत्र का सोहनाग कस्बा परशुराम धाम के नाम से जाना जाता है। यहां भगवान परशुराम जनकपुर से लौटते समय विश्राम किया था।काफी दिनों तक यहां तक साधना भी की थी तभी से इस स्थान का धार्मिक व पौराणिक महत्व बढ़ गया।यहां अक्षय तृतीया के दिन भारी मेला लगता है।क्षेत्रिय लोगों को द्वारा कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम ने जब जनकपुर में धनुष तोड़ा तो भगवान परशुराम जनकपुर वायु मार्ग से पहुंच गए। जनकपुर में लक्ष्मण परशुराम के बीच संवाद हुआ उसके बाद वह वहां से लौटते समय सलेमपुर के निकट सोहनाग में जंगल को देख रात्रि विश्राम किया। जंगल व प्राकृतिक छटा को देखकर वह आकर्षित हुए उसके बाद काफी दिनों तक जंगल में रहकर तप किया।अक्षय तृतीया के दिन यहां मेला लगता है इस स्थान पर आज भी जंगल है मंदिर के बगल में पर्यटन विभाग द्वारा भवन बनवाया गया है।पर्यटन विभाग की तरफ से पोखरा तक इंटरलॉकिंग सड़क बनाई गई है। सोहनाग में भगवान परशुराम के मंदिर के बगल में 10 एकड़ भूमि में सरोवर है। जिसका धार्मिक महत्व है। कहा जाता है कि कई सौ वर्ष पूर्व नेपाल के राजा सोहन तीर्थाटन को निकले थे उन्होंने। उन्होंने इसी स्थान पर विश्राम किया था। सरोवर के पानी से शरीर का स्पर्श हुआ तो उनका कुष्ठ रोग समाप्त हो गया। इसके बाद उन्होंने पोखरे की खुदाई कराई जिसमें भगवान परशुराम,उनकी माता रेणुका, पिता जमदग्नि, भगवान विष्णु के पत्थर की मूर्ति मिली उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया। राजा सोहन के नाम पर इस स्थान का नाम सोहनाग हो गया।
तहसील क्षेत्र का सोहनाग कस्बा परशुराम धाम के नाम से जाना जाता है। यहां भगवान परशुराम जनकपुर से लौटते समय विश्राम किया था।काफी दिनों तक यहां तक साधना भी की थी तभी से इस स्थान का धार्मिक व पौराणिक महत्व बढ़ गया।यहां अक्षय तृतीया के दिन भारी मेला लगता है।क्षेत्रिय लोगों को द्वारा कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम ने जब जनकपुर में धनुष तोड़ा तो भगवान परशुराम जनकपुर वायु मार्ग से पहुंच गए। जनकपुर में लक्ष्मण परशुराम के बीच संवाद हुआ उसके बाद वह वहां से लौटते समय सलेमपुर के निकट सोहनाग में जंगल को देख रात्रि विश्राम किया। जंगल व प्राकृतिक छटा को देखकर वह आकर्षित हुए उसके बाद काफी दिनों तक जंगल में रहकर तप किया।अक्षय तृतीया के दिन यहां मेला लगता है इस स्थान पर आज भी जंगल है मंदिर के बगल में पर्यटन विभाग द्वारा भवन बनवाया गया है।पर्यटन विभाग की तरफ से पोखरा तक इंटरलॉकिंग सड़क बनाई गई है। सोहनाग में भगवान परशुराम के मंदिर के बगल में 10 एकड़ भूमि में सरोवर है। जिसका धार्मिक महत्व है। कहा जाता है कि कई सौ वर्ष पूर्व नेपाल के राजा सोहन तीर्थाटन को निकले थे उन्होंने। उन्होंने इसी स्थान पर विश्राम किया था। सरोवर के पानी से शरीर का स्पर्श हुआ तो उनका कुष्ठ रोग समाप्त हो गया। इसके बाद उन्होंने पोखरे की खुदाई कराई जिसमें भगवान परशुराम,उनकी माता रेणुका, पिता जमदग्नि, भगवान विष्णु के पत्थर की मूर्ति मिली उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया। राजा सोहन के नाम पर इस स्थान का नाम सोहनाग हो गया।
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