कोरोना व्यवहार से डेंगू पर भी हुआ प्रहार
गोरखपुर, 16 जनवरी 2021
कोरोना से लड़ाई के दौरान अपनाए गए साफ-सफाई के व्यवहार का सकारात्मक असर डेंगू के मामलों में भी दिखाई देने लगा है। जनवरी 2020 से लेकर दिसम्बर 2020 माह तक जिले में डेंगू के मात्र छह मामले पुष्ट हुए हैं। इसी समयावधि में पिछले वर्ष 2019 में कुल 142 डेंगू के केस पुष्ट हुए थे। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम) डॉ. एके चौधरी का कहना है कि कोविड-19 से बचाव के लिए जिले भर में सैनेटाइजेशन के जो कदम उठाए गये उनके कारण मच्छरों का प्रकोप अपेक्षाकृत कम रहा है। कोविड से बचाव के प्रयासों ने डेंगू से भी जनपदवासियों को बचाया है। उनका कहना है कि विसंक्रमण के तौर-तरीकों को अपना कर और सफाई का व्यवहार अपनाते हुए न सिर्फ डेंगू, बल्कि मलेरिया और इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों पर भी नियंत्रण किया जा सकता है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है। इसका वाहक एडीज मच्छर दिन के समय काटता है। कूलर, गमले, टायर, एसी ट्रे, नाद जैसी चीजों में जब साफ पानी जमा होता है तो वहां इसके मच्छर पनपते हैं। इस साल कोविड-19 को देखते हुए जगह-जगह पर हुए सैनेटाइजेशन के कारण जहां कहीं थोड़े बहुत मच्छरों के लार्वा पनपे, वह नष्ट हो गये। जनता भी काफी जागरूक हुई जिसके कारण इस प्रकार के सकारात्मक परिणाम आए हैं। सतर्कता के इस स्तर को बनाए रखना है। डेंगू से न तो पिछले साल कोई मौत हुई थी और न ही इस साल कोई मौत हुई है।
डॉ. चौधरी ने डेंगू के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि डेंगू का पहला मामला 1956 में तमिलनाडु प्रांत में मिला था। 2010 तक यह बीमारी देश के 31 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में फैल गयी। वर्ष 1996 में इसकी अधिकतम मृत्यु दर 3.3 फीसदी थी जो वर्ष 2018 तक घट कर 0.1 फीसदी हो गयी है। इस बीमारी का प्रसार तेजी से हो रहा है लेकिन सुखद तथ्य यह है कि सावधानी बरत कर इससे होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि डेंगू के सामान्य मामलों में बुखार का चौथा से सातवां दिन बेहद खतरनाक होता है। पहले दिन से लेकर पांच दिन तक सिर्फ एनएसवन टेस्ट पॉजीटिव आता है जबकि पांच दिनों के बाद एलाइजा टेस्ट पॉजीटिव आता है। उन्होंने जनपद के सभी निजी चिकित्सकों से अपील की कि कि डेंगू मरीज मिलते ही उसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को अवश्य दे दें ताकि समय से मरीज का ब्लड सैंपल लेकर एलाइजा कंफर्म किया जा सके। एलाइजा के लिए भेजे जाने वाले नमूने पर बुखार का पहला दिन सही-सही अंकित होना चाहिए, तभी सही रिपोर्ट मिल पाएगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डेंगू मरीजों का इलाज भारत सरकार के स्टैंडर्ड मानकों के अनुसार ही होना चाहिए।
ये लक्षण दिखे तो हो सकता है डेंगू
• त्वचा पर चकत्ते
• तेज सिर दर्द
• पीठ दर्द
• आंखों में दर्द
• तेज़ बुखार
• मसूड़ों से खून बहना
• नाक से खून बहना
• जोड़ों में दर्द
• उल्टी
• डायरिया
यह भी जानिए
डेंगू मादा एडिज मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर के काटने के 5 से 6 दिन बाद डेंगू के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। डेंगू के सबसे खतरनाक लक्षणों में हड्डियों का दर्द शामिल है। इसी वजह से डेंगू बुखार को 'हड्डीतोड़ बुखार' के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इससे पीड़ितों को इतना अधिक दर्द होता है कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गई हो।
बीमारी को रिपोर्ट करें
अगर जिले के किसी भी निजी अस्पताल या फिर लैब में डेंगू का मामला सामने आता है तो उसे मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को अवश्य रिपोर्ट करें ताकि एलाइजा टेस्ट के साथ-साथ निरोधात्मक कार्यवाही की जा सके। जागरूकता किसी भी बीमारी को हराने का सबसे बेहतर और सशक्त उपाय है।
*डॉ. सुधाकर पांडेय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी*
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