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    प्रत्येक माह की नौ तारीख को जिले की 43 स्वास्थ इकाइयों पर मनाते हैं पीएमएसएमए दिवस


    गोरखपुर, 15 फरवरी 2021

    गर्भावस्था का पता चलते ही आशा कार्यकर्ता की मदद से किसी भी सरकारी स्वास्थ्य इकाई पर तुरंत पंजीकरण करवाना चाहिए। प्रसव पूर्व चार जांचें होनी चाहिए। इन जांचों से गर्भावस्था से संबंधित रोगों का समय पर निदान और उपचार किया जा सकता है। सबसे अहम यह है कि प्रसव पूर्व जांच से उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) के मामले पहचान में आ जाते हैं। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय का।

    डॉ. पांडेय ने बताया कि एचआरपी की समय से पहचान और ऐसे प्रसव के समुचित प्रबंधन से मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। यह सभी जांचें स्वास्थ्य इकाइयों पर निःशुल्क उपलब्ध हैं। इनकी सुविधा लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रत्येक माह की नौ तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) का भी आयोजन किया जाता है। आयोजन में न केवल जांच की सुविधा मिलती है, बल्कि टीकाकरण समेत संस्थागत प्रसव से जुड़ी प्रसव पूर्व की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। 

    मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि एचआरपी का सही समय पर चिन्हीकरण तभी हो सकता है जबकि समुदाय की तरफ से भी अपेक्षित सहयोग मिले। प्रयास होना चाहिए कि पीएमएसएमए दिवस पर व्यापक स्तर पर गर्भवती की सहभागिता हो। उन्होंने बताया कि कोविड काल में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मातृ स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाएं दी जा रही हैं। जो लोग नियमित सेवाएं नहीं ले पा रहे हैं उनमें जागरूकता पैदा करने और सुलभ सेवाओं को प्रदान करने की दृष्टि से पीएमएसए दिवस का आयोजन होता है।

    डॉ. पांडेय ने बताया कि पीएमएसएमए दिवस के मौके पर गर्भवती को ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन और अल्ट्रासाउंड की सुविधा मुहैय्या कराई जाती है। जिन महिलाओं में तेज बुखार, दौरे पड़ने, उच्च रक्तचाप, योनि से स्राव, त्वचा के पीलापन, हाथ-पैरों में सूजन, योनि से रक्तस्राव, तेज सिरदर्द, धुंधला दिखने, भ्रूण के न हिलने या कम हिलने जैसी समस्याएं होती हैं उन्हें एचआरपी के तौर पर चिन्हित कर लिया जाता है। मौके पर ही एचआरपी व अन्य गर्भवती को प्रसव के उपयुक्त स्थान के लिए काउंसिलिंग की जाती है और आशा कार्यकर्ता को एचआरपी के फॉलो अप की जिम्मेदारी दी जाती है। ऐसा करने से प्रसव के दौरान जटिलता के कारण होने वाले खतरनाक परिणामों को रोका जा सकता है।

    66788 की हो चुकी है प्रतिभागिता

    राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद ने बताया कि जुलाई 2016 में पीएमएसएमए दिवस की शुरूआत की गयी थी। अभियान शुरू होने से लेकर  इस माह तक कुल 66788 गर्भवती प्रतिभाग कर चुकी हैं, जिनमें से 4301 गर्भवती एचआरपी चिन्हित हुईं और उन्हें सेवाएं दी गयीं। इस दिवस पर परिवार नियोजन और पोषण संबंधित परामर्श भी दिया जाता है। टीकाकरण की भी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। अभियान में मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता सूर्य प्रकाश तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

    कोविड प्रोटोकॉल पर विशेष जोर

    खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी श्वेता पांडेय का कहना है कि गर्भवती को बिना किसी भय के कोविड काल में स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाना चाहिए। पीएमएसएमए दिवस पर दो गज दूरी, हाथों की स्वच्छता और मॉस्क के इस्तेमाल पर खासतौर से ध्यान दिया जाता है। निःशुल्क जांच और इलाज की सुविधा सामान्य दिवसों पर भी उपलब्ध रहती है। उन्होंने बताया कि गर्भवती की प्रसव पूर्व चार जांचें अनिवार्य तौर पर करायी जानी चाहिए। इनमें पहली जांच माहवारी बंद होने के तीन माह के भीतर, दूसरी जांच गर्भावस्था के चौथे व छठे महीने में, तीसरी जांच सातवें व आठवें महीने में जबकि चौथी जांच गर्भावस्था के नौवें महीने में होनी ही चाहिए।

    कार्ड बना और सुविधा मिली

    जंगल रामगढ़ चवरी निवासी राशिया खातून ने फरवरी माह की नौ तारीख को पीएमएसएमए दिवस पर खोराबार पीएचसी से सेवाएं प्राप्त कीं। उन्होंने बताया कि पीएचसी पर उनका मदर एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन (एमसीपी) कार्ड बनाया गया और खून-पेशाब की जांच हुई। साथ में कैल्शियम की गोली भी निःशुल्क दी गयी। वह पहली बार इस आयोजन में शामिल हुईं और उन्हें काफी अच्छा लगा। टिटनेस का टीका भी लगाया गया। वह अभियान के दौरान मिली सेवाओं से संतुष्ट हैं।

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