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    शहीद सैनिकों के नाम पर वेलेन्टाइन डे का त्याग करें देश वासी

     देश वासियों के लिए किसी काली रात से कम नहीं 14 फरवरी

    बांसगांव संदेश | गोला (मनोज मिश्रा)|पाश्चत्य शैली का नकल कर मनाये जारहे त्योहार से जहॉं देश के अन्दर बिभिन्नता में एकता एवं संस्कृति की पहचान गायब होती जारही है वही युवा वर्ग इससे अधिक प्रभावित होता दिखाई दे रहा है जो भारती संस्कृत के लिए किसी खतरे से कम नही है।

    उल्लेखनीय है की देश की  परंम्परा एवं उसकी संस्कृति ही उस देश की पहचान होती है जो सदियों तक बनी रहती है परन्तु यदि लोग अपनी संस्कृति को छोड़ कोई दूसरी संस्कृति की नकल करने लगें तो सभ्यता के साथ साथ संस्कार भी बदलने लगते है जो उस देश के लिए किसी खतरे से कम नही है बताते चलें कि ,,नव वर्ष हो या ,वेलेन्टाइन डे,बिदेशी त्योहारों की जद में भारत का युवा वर्ग इसकी जद में है जिसको मनाने की होड़ लगी रहती है वही लोगों को इन बिदेसी त्योहारों खाश कर 14 फरवरी को मनाये जाने वाले  वेलेन्टाइन डे को त्यागकर उन सहीद सैनिकों को याद करना चाहिये जिनको 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में  एक बम विस्फोट में सहादत मिली थी जो किसी काली रात से कम नही।।

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