सत्ता के मद में चूर महापौर का पीए, कर रहा मनमानी पहले नाली पर अतिक्रमण फिर गली पर किया कब्ज़ा
गोरखपुर। जब शासन सत्ता के करीब बैठे लोग ज़मीन कब्ज़ा और अतिक्रमण करने के साथ खुद ही भूमाफियाओं और बिल्डरों की जमात में शामिल होने को आतुर हो तो फिर आम जनता का क्या हाल होगा, ये सोचने का विषय है।
बात महापौर सीताराम जायसवाल के व्यक्तिक सहायक आरिफ सिद्दीकी की हो रही है जिन्होंने लगभग 2 वर्ष पहले नाली के ऊपर पिलर बनाकर छत ढलवा ली और अब बगल की गली पर भी कब्ज़ा कर लिया जिससे मोहल्ले के घरों के गंदे पानी की निकासी बन्द हो गई। विवाद इतना बढ़ा की बात थाने से होते हुए तहसील लेखपाल और फिर सिटी मजिस्ट्रेट तक पहुंच गई।
एक तरफ सत्ताधारी दल के महापौर के व्यक्ति सहायक का जलवा तो दूसरी तरफ बेचारी जनता। लेखपाल से लगायत थानेदार की रिपोर्ट मेयर साहब के पीए के खिलाफ ऊपर से सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 133(1) द0प्र0स0 के तहत कार्यवाही करने का आदेश भी लेकिन सब एक तरफ और और सत्ताधारी मेयर साहब के आशीर्वाद से उनके पीए की हनक एक तरफ। इस मामले में सबसे बुरी दशा गोरखपुर नगर निगम की है जिसके जिम्मे सड़को व नाले नालियों पर अतिक्रमण से सम्बंधित मामलों को देखने की जिम्मेदारी है मगर वह मौन है।हालांकि सीएम योगी का निर्देश है कि सार्वजनिक या सरकारी सम्पत्तियों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाए । सीएम की इस मंशा को गोरखपुर के डीएम द्वारा लगातार साकार किये जाने का प्रयास भी देखने को मिला लेकिन गोरखपुर नगर निगम के महापौर के व्यक्तिक सहायक आरिफ सिद्दीकी ने लगभग 2 वर्ष पहले अपने घर के सामने से गुजरने वाली नाली पर अतिक्रमण कर जब उस पर छत ढलवाया और खबर अखबारों की सुर्खियां बनी मगर न तब कोई कार्यवाही हुई और न ही अब कोई आसार नजर आ रहा है क्योंकि गोरखपुर के प्रथम नागरिक होने का गौरव प्राप्त महापौर साहब के पीए को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है।
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