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    यूपी: लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर की अगुवाई में सबसे बड़ा एनकाउंटर

    रुपेश बरनवाल, देवरिया/लखनऊ:
    वाराणसी के चोलापुर थाने के लखनपुर का मूल निवासी गिरधारी विश्वकर्मा साल 2001 से जरायम जगत में सक्रिय है। वर्ष 2001 में गिरधारी के खिलाफ लूट का पहला मुकदमा दर्ज किया गया था। वर्ष 2000 तक गिरधारी चोलापुर क्षेत्र के ही एक सफेदपोश का शागिर्द था और छोटे-मोटे झगड़ों में उसका नाम सामने आता था। लोग बताते हैं कि सफेदपोश के संरक्षण में आने से पहले गिरधारी की छोटी सी दुकान भी थी। इसके बाद वह जौनपुर और आजमगढ़ के सफेदपोशों के संपर्क में आया था। वर्ष 2005 में जौनपुर के केराकत क्षेत्र में हत्या के बाद गिरधारी दोनों हाथ से ताबड़तोड़ फायरिंग करने वाले शार्प शूटर के तौर पर जरायम जगत में कुख्यात हो गया। वर्ष 2010 में गिरधारी पर 50 हजार का इनाम घोषित हुआ था। इसके बाद 2019 में नितेश की हत्या हुई तो उस पर एक लाख का इनाम घोषित हुआ था। सत्ता बदलने के साथ ही 'माननीय' से दोस्ती बदल देता था गिरधारी गिरधारी शक्ल से ही नहीं बल्कि दिमाग से भी बहुत शातिर था। वह पुलिस से बचने का तरीका बखूबी जानता था और जिसकी भी प्रदेश में सरकार रहती है वह उसी दल के नेताओं से दोस्ती गांठ लेता था। 2005 में जौनपुर में चेयरमैन चुनाव की रंजिश में विजय गुप्ता की हत्या करने के बाद उसने तत्कालीन सांसद से दोस्ती बना ली, जो अब तक बराकरार रही। इसके बाद 2007 में बसपा की सरकार बनने के बाद आजमगढ़ से सत्ताधारी विधायक से रिश्ते मजबूत कर लिया। लेकिन 2012 में सरकार बदलते ही उससे दुश्मनी हो गई थी। फिर आजमगढ़ के सपा विधायक से नजदीकी बढ़ा ली। गिरधारी विश्वकर्मा को जरायम की दुनिया का डाक्टर भी कहा जाता रहा उसे यह पता था कि शरीर के किस हिस्से में गोली मारने से तुरंत जान चली जाती है। इसलिए राजनीति से जुड़े लोगों को मौत के घाट उतारने के लिए उसे हत्या की सुपारी दी जाती थी। उसने जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, वाराणसी, लखनऊ में अब तक जितने भी मर्डर किया वह सब राजनीति से जुड़े लोग थे। 2005 में गिरधारी लोहार ने जौनपुर में चेयरमैन के भाई विजय गुप्ता की हत्या की थी। इसके बाद 2008 में मऊ के घोसी में नंदू सिंह की हत्या, 2011 में आजमगढ़ के जीयनपुर में डमरू सिंह की हत्या, 2010 में मऊ के कोतवाली इलाके में सुनील सिंह की हत्या, 2013 में बीएसपी विधायक सर्वेश सिंह उर्फ सीपू की हत्या, 2019 में वाराणसी में नीतेश सिंह की हत्या और 2020 में लखनऊ में पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह हत्या कर दी थी। एक बात तो यह तय हो गई गिरधारी और कन्हैया के मारे जाने के बाद कई हत्याओं से असली राज खोलना बाकी रह जाएगा।

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