भकुरहाँ - रानापार सम्पर्क मार्ग जन प्रतिनिधियों से अब तक उपेक्षित
ब्रह्मपुर गोरखपुर। कछार क्षेत्र में हर जन प्रतिनिधि अपने बजट के माध्यम से सड़कों को सजाने व सवांरने के लिए जी जान से लगे हैं । वहीं आज भी ब्रह्मपुर ब्लॉक की भकुरहाँ से रानापार जाने वाली सड़़क अपने को लावारिस पा रही है। वह आज भी अपने को कोस रही है। अपने पर वह लज्जित हो रही है। एक ओर जहाँ देश व प्रदेश की सरकारें विकास के हर लक्ष्य को पूरा करने के लिए तत्पर हैं । इतना सब कुछ होने के बाद वह बेसुध बन करके नंग धडंग बैठी है। उसका कोई मालिक ही नही है। क्या वह वैसी ही रहेगी? वह आँसू बहा रही है कि मेरा तन कोई कब ढकेगा। मैं तो तेरे नौनिहाल की रक्षा कर रही हूँ। क्योंकि जहाँ से क्षेत्र के प्रतिदिन लगभग कई सौ विद्यार्थी गुजर करके स्वावलम्बी इण्टर कालेज विशुनपुरा, अखिलभाग्य स्नाकोत्तर महाविद्यालय रानापार और भाग्यमानी देवी कन्या इण्टर कालेज रानापार में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाते हैं। लेकिन आज भी वह सड़क नंगी बनी है।
रानापार निवासी सुनील यादव बताते हैं कि कोई जनप्रतिनिधि उसके तन ढकने का काम नही कर रहा है। यह बहुत ही पुरानी सड़क है। आज भी कच्ची है। इस सड़क पर कभी खड़ंजा तक नहीं हुआ। इस बात को लोग जानते भी है। इसके बाद में सडकें निकली उनकों नई नवेली दुल्हन की तरह सजा दिया गया है और भकुरहा - रानापार मार्ग पर खड़ंजा तक नहीं हुआ। सड़क से गुजरने वाले हर एक राहगीर को वह अपना परिवार मानती है। जिससे जो लोग वहाँ से गुजरते है वह उनकी हिफाजत करती है। जब वह बारिश में गुस्सा होती थी तो लोगों दूर से घूम कर आना पड़ता था। बारिश के समय इतना कचड़ा हो जाता है कि साइकिल मोटरसाइकिल क्या पैदल भी फिसल जाएंगे।
पूर्व विधायिका शारदा देवी जी ने अपने विकासनिधि से एक पुलिया बनवायी। फिर बाद में एक और पुलिया बनी लेकिन आज दोनों पुलिया अपने अस्तित्व को बचाने के लिए भी तरस रही हैं । कुछ अराजक तत्वों ने दोनों किनारे के ईटों को अलग करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहें । आम जन की राय है कि इस सड़क पर भी ध्यान देने की कोशिश किया जाय और जो आज तक उस सड़क पर खडंजा भी नही हो पाया कम से कम कुछ तो काम कराया जाय। यह दर्द केवल रानापार-भकुरहाँ के लोगों का नहीं है। यह दर्द उस सड़क से गुजरने वाले हर एक राहगीर विद्यार्थियों का है। आखिर उसमें उस सड़क का क्या दोष है जो इस प्रकार से उसके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
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