रुस ने दिया मोदी सरकार को झटका, लेकिन अमेरिका ने उबारा
अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया का रोडमैप निर्धारित करने में पांच अन्य देशों के साथ अब भारत की भी भूमिका होगी. 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, छह महीने तक चली बैकडोर डिप्लोमेसी के बाद अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया की बातचीत में रूस, ईरान, चीन और पाकिस्तान के अलावा भारत भी शामिल होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने भारत को बातचीत में शामिल करने का प्रस्ताव रखा है जबकि रूस ने जो योजना पेश की थी, उसमें भारत को बाहर रखा गया था. अफगानिस्तान दशकों तक गृह युद्ध की आग में झुलसता रहा है. इस गृह युद्ध में अमेरिका और रूस भी शामिल थे. भारत की चिंता ये है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के लौटने के बाद वहां आतंकी संगठन सक्रिय हो सकते हैं और क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है। तालिबान को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की अहम भूमिका रही है और अगर तालिबान वहां हावी होता है तो पाकिस्तान की पकड़ और मजबूत होगी. ऐसे में, अफगानिस्तान में भारत के निवेश और सामरिक रणनीति पर बुरा असर पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक, चीन से बढ़ती करीबी के बीच रूस ने बातचीत की मेज पर चीन, अमेरिका, पाकिस्तान और ईरान को शामिल की बात कही थी लेकिन भारत को बाहर रखा था. अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान को मद्देनजर रखते हुए ऐसा किया गया था क्योंकि वो नहीं चाहता था कि भारत, अफगानिस्तान और क्षेत्र को लेकर जुड़े किसी भी रोडमैप का हिस्सा हो। हालांकि, भारत ने अपनी जगह बनाने के लिए अफगानिस्तान के सभी अहम पक्षों और अन्य देशों से बातचीत की. एक भारतीय अधिकारी ने एक्सप्रेस से कहा, हमारे हितों की सुरक्षा जरूरी है...अगले कुछ महीने इस लिहाज से काफी अहम हैं। इस टीम का हिस्सा बनकर भारत आतंकवाद, हिंसा, महिला अधिकार, और लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़ी अपनी शर्ते रखने की स्थिति में आ पाएगा. भारत तालिबान का विरोध करता रहा है और अफगानिस्तान में अफगान के नेतृत्व में, अफगान नियंत्रित और अफगान नीत प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है लेकिन परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं और इसी का फायदा उठाते हुए दूसरे पक्ष अफगानिस्तान में हावी होते जा रहे हैं. अफगानिस्तान के अखबार टोलो न्यूज के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पिछले सप्ताह अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और हाई काउंसिल फर नेशनल रिकगनिशन के चेयरमैन अब्दुल्ला अब्दुल्ला को एक पत्र भेजा था. इसमें ब्लिंकेन ने एक रीजनल कॉन्फ्रेंस बुलाने का प्रस्ताव रखा था जिसमें अफगानिस्तान को लेकर अमेरिका, भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान एकमत होकर फैसला कर सकें।
कोई टिप्पणी नहीं
thanks for comment...