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    उप्र पंचायत चुनावों में बढ़ेगा खर्च और प्रत्याशियों की संख्या

    अभी पिछले दिनों उत्तर प्रदेश पंंचायत चुनावों में वर्ष 1995 को आधार बनाकर प्रत्याशियों के आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई थी। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की घोषणा होते ही ग्रामपंचायतों क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायत के लिए प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ने की तैयारियां शुरू कर दी थीं।
    गांवों,कस्बों और प्रमुख बाजारों में प्रत्याशियों के पोस्टर बैनर भी टंग गए और भावी प्रत्याशियों ने प्रचार प्रसार तथा मतदाताओं से वोट के लिए अपील करना भी शुरू कर दिया था।
    इस बीच उप्र हाईकोर्ट की लखनऊं खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार और निर्वाचन आयोग की आरक्षण व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया। साथ ही वर्ष 2015 को ही आधार वर्ष मानकर पुनः नए सिरे से चक्रानुक्रम के अनुसार आरक्षण व्यवस्था लागू करने के उच्च न्यायालय के आदेश को मानकर 10 दिनों में पंचायत चुनावों के लिए नए सिरे से आरक्षण व्यवस्था लागू करने के फरमान के बाद प्रदेश में एक बड़ा बदलाव हो गया है।
    दरअसल चुनाव लड़ने का मन बना चुके और तैयारियों में अपना समय और धन गंवाने वाले बहुत से भावी प्रत्याशी अब पीछे मुड़ना नहीं चाहते इनमें से ज्यादातर लोग ऐसे हैं,जिनका कहना है कि अब चाहे हार हो या जीत चुनाव तो लड़ना ही है। चक्रानुक्रम के अनुसार नई आरक्षण सूची के जारी होने का इंतजार कर रहे चूनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले लोगों की हालत अब कुछ ऐसी हो गई है कि, जो सीटें सामान्य थी उनके आरक्षित होने पर तैयारी कर चुके लोग अपने समर्थक प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने का मन बना चुके हैं, और वहीं जो सीटें पहले आरक्षित थी लेकिन अब सामान्य या किसी अन्य श्रेणी में आती है तो भी मैदान में उतर चुके आरक्षित वर्ग के लोग भी चुनाव मैदान में पूरी तैयारी के साथ उतरने का मन बना चुके हैं।
    समाज के बुद्धिजीवियों और जानकार सामाजिक राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि ऐसे में इस बार पंचायत चुनावों में प्रत्याशियों की संख्या बढ़ जाएगी। संख्या बढ़ने से चुनाव खर्च विवाद और प्रशासनिक उलझने भी बढ़ेगी और यह सब सिर्फ एक गलत निर्णय लेने के कारण हुआ है। अगर पहले से ही वर्ष 2015 पर आधारित चक्रानुक्रम की व्यवस्था लागू की गई होती तो शायद इस कोरोना महामारी के भयावह दौर में चुनाव खर्च में कुछ बचत होती।

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