दो परिवारों का मान सम्मान बेटियां बढ़ाती हैं -साध्वी सीता चसहचरी
सहजनवा बांसगांव संदेश गोरखपुर बेटियां अपने अच्छे आचरण कार्य से जहां माता-पिता के मान-सम्मान सम्मान को बढ़ाती हैं, वहीं अपनी ससुराल पहुंच कर उस कुल का भी मान बढ़ती है । नारियों की आदर्श माता जानकी इसकी साक्षी हैं ।
उक्त बातें- पाली विकासखंड के ग्राम डुमरी मारुति नंदन मंदिर में चल रहे श्री सीताराम संस्कार मानस महायज्ञ के व्यासपीठ से श्रद्धालुओं को कथा रसपान करा रही थी । उन्होंने कहा कि दुनियां की नारियां मां जानकी कृत्य से गौरवान्वित होती हैं ।
एक नारी किसी की बेटी है, तो किसी की मां है, किसी की बहन है,तो किसी की बधू है । अनेक रूपों में अपने उत्तम आचरण और कर्तव्य से मानव संसार को सुंदर बनाती है ।
कथा व्यास ने कहा कि- जानकी जी ने जहां पिता जनक जी के आति लाड-प्यार पली-बढ़ी और अनेक सुख सुविधाओं से युक्त जीवन जीया, वहीं ससुराल में पति राम के विपत्ति काल में यानि वनवास के समय नंगे पांव,कंकड़ीली-पथरीली पर नंगें पांव चलकर अपने पति का खुशी-खुशी साथ दिया । दुनिया में नारियों का अन्यत्र कोई ऐसा उदाहरण देखने को नहीं मिलता है । उक्त अवसर पर मुख्य यजमान विजय नाथ पांडेय,हरिहर राज़, संपूर्णानंद त्रिपाठी, हनुमान, डाक्टर धीरेन्द्र राज़, ओमप्रकाश,विनय पाण्डेय,सोहरज राज़,श्यामधर समेत कई लोग मौजूद थे ।
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