इमामबाड़ा रानी अशरफुन्ननिशा खानम पर कब्जा कर उसका नाम बदला और फिर उसे एक अलग वक़्फ़ घोषित कर दिया
गोरखपुर । पहले वक़्फ़ में दर्ज इमामबाड़ा रानी अशरफुन्ननिशा खानम पर कब्जा कर उसका नाम बदला और फिर उसे एक अलग वक़्फ़ घोषित कर दिया यानी गोरखपुर जिले में शिया वक्फ बोर्ड के अंतर्गत तीसरा वक़्फ़ जिसको इमामबाड़ा आगा असगर हुसैन का नाम दे दिया। जबकि सरकारी दस्तावेज़ बताते हैं कि जिले से मात्र दो वक़्फ़ पंजीकृत है। पहला वक़्फ़ नम्बर 1-2510 वक़्फ़ कनीज़ जैनब और दूसरा वक़्फ़ नम्बर 1524 वक़्फ़ अशरफुन्ननिशा खानम।
मामला तब सामने आया जब वक्फ बोर्ड में पंजीकृत वक़्फ अशरफुन्ननिशा खानम के अंतर्गत आने वाले गीताप्रेस रोड स्थित इमामबाड़े का नाम बदलकर इमामबाड़ा आगा असगर हुसैन किए जाने और इमामबाड़े में बिना आज्ञा अंदर जाना मना होने का बोर्ड लगाने के मामले को संज्ञान में लेते हुए उपायुक्त वक़्फ/जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने आगा अली मोहम्मद को नोटिस जारी कर धार्मिक स्थल में लोगों का प्रवेश रोकने के संबंध में जवाब तलब किया है।
अपने जवाब में आगा अली मोहम्मद ने बताया है कि इमामबाड़ा परिसर के अंदर कुछ लड़के गुल्ली डंडा खेलते थे और आसपास के लोग अपनी बकरियां चराते थे जिससे इमामबाड़े और मस्जिद की बेहुरमती होती थी जिसकी वजह से उन्होंने बिना आज्ञा प्रवेश मना है का बोर्ड लगा दिया वहीं उन्होंने अपने जवाब में सरकारी अभिलेखों में रानी अशरफुन्ननिशा खानम नाम से दर्ज इस इमामबाड़े को इमामबाड़ा आगा असगर हुसैन वक़्फ़ बता दिया, यानी तीसरा वक़्फ़।
अपने जवाब में इन्होंने 2011 तक खुद को इस वक़्फ़ का मतवल्ली बताया है जबकि पुराने अभिलेखों में अज़हर हुसैन नक़वी का नाम बतौर मतवल्ली दर्ज है ।
बहरहाल इस मामले में अब आगे क्या कार्यवाही होती है यह देखना होगा। फिलहाल इस वक़्फ के अंतर्गत शहर के विभिन्न मोहल्लों में कई मकान और जमीन के अलावा मोहल्ला दीवान बाजार में 22 बीघा जमीन वक़्फ के अभिलेखों में दर्ज है। जबकि इस वक़्फ की कई जमीनों और मुहल्ला बसन्तपुर मुतनाज़ा में स्थित कई मकानों को निजी बता कर करोड़ों रुपए में दूसरों के नाम बैनामा कर दिया गया जो जांच का विषय है।
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