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    बीते वर्ष कोरोना के बीच 195 कुपोषित बच्चों को बनाया सुपोषित


    गोरखपुर, 23 अप्रैल 2021

    एक तरफ जहाँ कोविड के मामले बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं जारी रखने का दिशा-निर्देश है। पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भी आवश्यक सेवा की भूमिका निभा रहा है। इस केंद्र का संचालन कोरोना के दबाव के बीच जारी है, हालांकि अब यह बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के वार्ड नंबर 12 में चलेगा। अभी तक यह वार्ड नंबर 11 में चल रहा था। बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अनिता मेहता ने बताया कि अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक 195 बच्चे एनआरसी में भर्ती हुए थे और सभी स्वस्थ  होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। इस समय छह बच्चे भर्ती हैं।



    डॉ. मेहता ने बताया कि केंद्र का संचालन कोविड 19 प्रोटोकॉल के पालन के साथ हो रहा है। सेनेटाइजर और हाथों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। चिकित्सक, स्टॉफ, मरीज और अभिभावक सभी को मॉस्क लगाए रखने का दिशा-निर्देश है। केंद्र की आहार परामर्शदाता पद्मिनी के अलावा स्टॉफ अनिता, माया, पूर्णिमा, नंदिनी, रेनू, प्रीती और कुक भगवान दास कोविड काल में समर्पित भाव से सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को चिकित्सक के परामर्श के अनुसार केंद्र पर लाने में बिल्कुल न हिचकिचाएं लेकिन कोविड नियमों का भी विशेष तौर पर ध्यान रखें।

    एनआरसी की सुविधाएं

    • एनआरसी की सभी सुविधाएं निशुल्क हैं।
    • यहां बच्चों के इलाज के अलावा दोनों समय भोजन और एक केयर टेकर को भी निशुल्क भोजन मिलता है।
    • भर्ती बच्चों को दोनों समय दूध और अंडा दिया जाता है।
    • जो अभिभावक बच्चे के साथ रहते हैं उन्हें 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से उनके खाते में दिए जाते हैं।
    • जो आंगनबाड़ी बच्चों को एनआरसी ले जाती हैं उन्हें सिर्फ एक बार 50 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
    • केंद्र में भर्ती कराने से बच्चे को नया जीवन मिलता है। केंद्र में प्रशिक्षित चिकित्सक और स्टाफ नर्स बच्चों की देखभाल करती हैं।

    कुपोषण के लक्षण

    • उम्र के अनुसार शारीरिक विकास न होना।
    • हमेशा थकान महसूस होना।
    • कमजोरी लगना।
    • अक्सर बीमार रहना।
    • खाने-पीने में रूचि न रखना।

    35 से 37 फीसदी बच्चे अंडरवेट

    नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 (वर्ष 2015-2016) के अनुसार गोरखपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पांच वर्ष से कम उम्र के 37.1 फीसदी बच्चे अंडरवेट मिले। इसी प्रकार शहरी क्षेत्र के 35 फीसदी बच्चे अंडरवेट मिले। छह से 59 माह के बीच के 62.3 फीसदी ग्रामीण बच्चे जबकि 59.9 फीसदी ग्रामीण बच्चे एनीमिक पाए गये। अंडरवेट होना और एनीमिक होना कुपोषण की ही श्रेणी में आता है। ऐसे बच्चों को भी एनआरसी की आवश्यकता पड़ती है।

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