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    भागीरथी सांस्कृतिक मंच गोरखपुर की 704वीं काव्यगोष्ठी


    गोरखपुर। भागीरथी सांस्कृतिक मंच गोरखपुर की 704वी काव्यगोष्ठी होली मिलन के साथ एम.जी.एकेडमी नौसढ़ जवाहर चक पर संपन्न हुई।
    कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अरुण ब्रह्मचारी जी , मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर भाई बहार गोरखपुरी जी व संचालन शायर प्रदीप मिश्र जी ने किया।
    अध्यक्ष द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण,दीप प्रज्वलन, व प्रदीप मिश्र की वाणी वंदना से कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ।
    कवि त्रिपुरारी शर्मा अनाम ने देश में बढ़ रहे कोरोना पर चिंता जताते हुए गीत पढ़ा --
    देशवां हमार जुग -जुग जिये बढ़ै,
    कवनो विषाणुआ से केहूं न मरै।
    केतनन के गोद छिनले,अ सिगांर सब नोचले ,
    लेई लेहले  केतनन के परान ये करोनवा।
    वरिष्ठ शायर सुम्बुल हाशमी ने देश के प्रधान को सम्बोधित करते हुए कहा -
    तिरछी नजरें डालता है जो तुम्हारे देश पर,
    ऐसे लोगों से तुम अपनी आशनाई छोड़ दो ।
    दुश्मनों के रास्ते पर जो चलाता है हमें,
    साथ उसका छोड़ दो,व रहनुमाई छोड़ दो।
    मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर बहार गोरखपुरी ने देश के अंदुरूनी हालात का जायज़ा इस शेर से लिया -
    यही हाल हम आठों पहर देख रहे हैं।
    अब राम पे रावण का असर देख रहे हैं।।
    अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि अरुण ब्रह्मचारी जी  ने इशारों में  देश की नब्ज यूं टटोली -
    क्या हिन्द के गुलशन का दस्तूर निराला है।
    शोलों के इशारों में सहमा हुआ गुंचा है।।
    कार्यक्रम संयोजन सत्य नारायण पथिक ने किया।
     कार्यक्रम में मुख्य सहयोगी रहे एम.जी.एकेडमी के प्रबंधक श्री बी.एन.वर्मा ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
    सहयोगी एवं श्रोताओं में विद्यालय प्रधानाचार्या सुश्री पुष्पांजलि ,उप प्रधानाचार्या सुश्री प्रतिमा ,व्यवस्थापक श्री प्रीतम कुमार ,व शिक्षक श्री प्रभाकर शुक्ला जी व नगीना प्रसाद प्रजापति आदि उपस्थित रहे।


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