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    विपत्ति में भी संवेदनहीनता के कारण गई सत्यनारायण की जान

    कराहती करुणा , सिसकती संवेदना, हृदयहीन मानवता के "त्रिशूल" ने ले ली जान

     गोरखपुर। आपदा में अवसर तलाश रहे लोग मानव जीवन के साथ खिलवाड़ करने पर उतारू हो गए हैं। इस महामारी के दौर में सहानुभूति के दो शब्द जहां मरीज को ऑक्सीजन देते, वहीं धन उगाही के संवेदनहीन लोगों ने मानवता को शर्मसार कर दिया। तड़पते मरीज को एंबुलेंस की धन उगाही, डॉक्टर की उपेक्षा और लाचार व्यवस्था के त्रिशूल ने मार डाला।
     बता दें कि जगन्नाथपुर निवासी सत्यनारायण गुप्ता ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के परिसर में एंबुलेंस में डेढ़ घंटे इंतजार के बाद तड़प कर दम तोड़ दिया। सत्यनारायण गुप्ता की तबीयत 13 दिन पहले कोविड-19 के कारण खराब हुई थी। पहले वह होम क्वारन्टीन में रहे लेकिन ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण परिजनों ने वेंटीलेटर युक्त हॉस्पिटल की तलाश की लेकिन सफलता नहीं मिली, थक हार कर परिजन इंदिरा नगर स्थित न्यू लोटस हॉस्पिटल में भर्ती करा दिये। वह आक्सीजन  सपोर्ट पर चल रहे थे। उनके पुत्र साकेत गुप्ता ने बताया कि तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उनका ऑक्सीजन लेवल 40 पर आ गया था जिनको वेंटिलेटर की सख्त जरूरत थी। जब वेंटीलेटर की तलाश पूरी नहीं हो पाई तो थक हारकर परिजनों ने इसकी सूचना जिले के आला अफसरों व चिकित्सकों को दी। अंत में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करा कर वह लोग बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले गए जहां परिसर में ही डेढ़ घंटे इंतजार करते-करते  सत्यनारायण गुप्ता ने एम्बुलेंस मे ही तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया ।

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