ऑक्सीजन के लिए पार्षद ने कमिश्नर आवास दिया धरना
गोरखपुर। कोविड-19 संक्रमण महामारी की दूसरी लहर चरम पर है आलम यह है कि मुख्यमंत्री के गृह जनपद में ऑक्सीजन के लिए बेतियाहाता के पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी को कमिश्नर आवास पर धरने के लिए बैठना पड़ा। बेतियाहाता के पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी ने बताया कि आज सुबह हमारे आवास एक मरीज पहुंचा बताया कि ट्रांसपोर्ट नगर के निजी अस्पताल नवजीवन हॉस्पिटल में मेरा मरीज भर्ती है उसे ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है कृपया आप मेरी मदद करें मरीज को लेकर जब पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी अस्पताल पहुंचे तो जानकारी मिली उन्हें बताया गया कि सुबह 7 बजे से नवजीवन हॉस्पिटल में ऑक्सीजन खत्म हो गया था मरीजों को ऑक्सीजन ना होने के कारण डिस्चार्ज करने के लिए जबरन सादे कागज पर दस्तखत कराया जा रहा था 3 घंटे से लगातार प्रयास कर रहा था लेकिन कोई अधिकारी नही सुन रहे थे मजबूरन कमिश्नर आवास पर धरने पर बैठने के बाद नवजीवन हॉस्पिटल को सिर्फ दो ऑक्सीजन सिलेंडर मिला बाकी कुछ देर में पहुंच जाएगा बोला गया कोरोना नियमों का पालन करते हुए मैं सिर्फ एक व्यक्ति के साथ धरने पर बैठा था उसके बाद भी कमिश्नर गेट तक बंद करवा दिया गया हमसे बताया गया कि दो सिलेंडर नवजीवन हॉस्पिटल पहुच गया है आप धरना खत्म कर दे बाकी सिलेंडर पहुच जायेगा जब जाकर हमने धरना खत्म किया मरीज का राम प्रकाश यादव ग्राम महुआ पोस्ट जानीपुर गोला रोड गोरखपुर 20 अप्रैल की शाम को एडमिट हुआ है और आज सुबह 6:30 बजे ऑक्सीजन खत्म हो गया है हॉस्पिटल में इनके अलावा 18 मरीज और हैं पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी की वजह से 19 लोगों की जिंदगी बच गई अगर सीएम सिटी में इस तरह प्राइवेट अस्पताल के संचालक मनमानी तरीके से कर रहे हैं तो और जनपदों में क्या स्थिति होगी इसका जीता जागता उदाहरण पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी द्वारा उदाहरण पेश किया गया अगर धरना विश्वजीत त्रिपाठी द्वारा नहीं दिया जाता तो सिलेंडर मिलना नामुमकिन था उससे पहले विश्वजीत ने मुख्यमंत्री के निजी सचिव तथा जिलाधिकारी गोरखपुर तथा मंडलायुक्त से वार्ता कर चुके थे जब कोई संभावना नहीं दिखाई इन जिंदगी को बचाने के लिए तब मजबूरन श्री त्रिपाठी को मंडलायुक्त आवास पर धरने पर बैठना पड़ा जिसका नतीजा रहा कि 19 लोगों की जिंदगी बचाने में सफल रहे।
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