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    अपनी जान की परवाह किये बिना जनता की सेवा में खुद को समर्पित कर रहे है डॉ0अरुण



    गोरखपुर।भगवान ने इस धरती पर तमाम ऐसे लोगो पैदा कर रखा है जो समय समय पर इंसानियत को बचाने उनकी मदद करने अपना हाथ आगे बढ़ाते रहे है यही वजह है कि दुनिया मे तमाम आपदाओं के बाद भी इंसानियत जिन्दा रहती है कोरोना वैश्विक महामारी की दूसरी लहर ने न जाने कितने घरों के चिराग बुझा दिए है दूसरी लहर ने ऐसा कोहराम मचाया है कि बेटा बाप की मय्यत में जाने से कतराने लगा है  जो अपने होने का दम भरा करते थे वो इस  महामारी में दुश्मन से भी बत्तर व्यवहार करने लगे वजह साफ है कि सबको अपनी मौत का खौफ सताने लगा लोग ये सोचने पर मजबूर हो गए कि कोरोना से मृत व्यक्ति के पास गए तो उन्हें भी कोरोना न हो जाये और इस वैश्विक महामारी में रिश्तों की अहमियत को भी बता दिया जनाजा उठाने के लिए कंधा न मिला चिंता जलाने के लिए लकड़ियां न मिली इतना कुछ होता रहा है लेकिन इस बीच एक डॉक्टर ने इस वैश्विक महामारी में ऐसे इंसानियत पेश की जिसकी चर्चा हर जुबा पर हो रही है हम बात कर रहे है बाबा गोरक्षनाथ की धरती पर जन्मे डॉ अरुण कुमार वर्मा की जो पेशे से चिकित्साधिकारी है। डर अरुण वर्मा सुबह से शाम तक कोविड मरीजों की सेवा में लगे रहते है जब वो फ़्री होते है तो लोगो को कोरोना से बचाव का उपचार बताते है उनके बताये हुए उपचार से हज़ारों लोग कोरोना को मात दे चुके है आइये हम भी जानते है डॉ अरुण कुमार वर्मा की जुबानी कैसे खुद को कोरोना की दूसरी लहार से बचाया जा सकता है। डॉ अरुण कुमार वर्मा बताते है की लोगो को पहले से ज़्यादा सावधान रहने की इस बार जरूरत है खुद को किस प्रकार सस्ते और सटीक इलाज कर के कोरोना से बचाया जा सकता है उन्होंने बताया कि दो लेयर वाला मास्क पहनने की कोशिश करे दो गज की दूसरी से काम नही चलेगा इस दूसरी को चार गज कर ले रेमडेसीवर इंजेक्शन यूज़ मत करे डेक्सामेंथासोन का इस्तेमाल करे खासी और छिक के समय साफ कपड़े का इस्तेमाल करे बार बार हाथों को साबुन और सेनिटाइजर से साफ करें डॉ अरुण वर्मा आगे बताते है कि कोरोना संक्रमण बीमारी के ट्रीटमेंट को दो सप्ताह में बाट सकते है जिसमे पहले सप्ताह वायरस के रिप्लेक्शन का होगा जिसमें वायरस बॉडी में मल्टीप्लाई करता है एक्टिव हो जाता है फिर वायरस और इम्यूनिटी के बीच संघर्ष चलता है यह सब पहले सप्ताह में चलता है दूसरे सप्ताह करे ये इलाज दूसरे सप्ताह में पलमोनरी कॉम्प्लेक्शन होता है जिसमे साइटोकाइन स्टार्म  इम्प्लेमेशन इम्प्लेमेट्री मार्कर, इस सब की वजह से जो इम्प्लेमेट्री रिस्पांस है वह पूरी तरह से ब्लड वेसल्स में आ जाता है और इसका सबसे ज्यादा असर लंग्स में कोविड निमोनिया के तौर पर होता है ऐसे में अगर इलाज की बात करे तो उसमें जो पहले सप्ताह है उसमें आईवरमेक्टिन दवा जो 12 एमजी गोली है इसे 3 दिन तक लिया जाता है इसके साथ साथ डाकसीसाईक्लीन एंटीबायोटिक 100 एमजी जिसे सुबह शाम 5 से 7 दिन के लिए प्रयोग करना है वही जो ऐग्जथ्रोमैसीन 500 एमजी दवा है एक बार तीन दिन के लिए लेने की जरूरत है स्पोर्टिंग मेडिसिन में ये ले विटामिन डी थ्री 60 हज़ार यूनिट को हफ्ते में एक बार लेने को कहा गया है इसके अलावा विटामिन सी 500 एमजी को दिन में तीन बार रोजाना 10 से 15 दिन तक लेना है 50 एमजी जिंक की टेबलेट भी लेना है हर रोज एक दिन डॉ अरुण वर्मा ने आगे बताया है कि ट्रीटमेंट के दौरान हमे देखना होगा कि जो दवा का ट्रीटमेंट चल रहा है क्या पांच छः दिन में थकान बुखार खासी जुखाम कम हो रहा है कि नही अगर लक्षण इन दवाओं के ट्रीटमेंट के बावजूद भी नही कम हो रहे है और सुखी खांसी आना शुरू हो गई है तो इसके लिए हमे तुरन्त डॉक्टर की सलाह लेनी होगी और जो स्टेरॉइडस है उनमें  डेक्सामेंथासोन या मेंथापेरीलेसान की अच्छी डोज डॉक्टर को शुरू करनी होगी। रेमडेसिवर रामबाण नही है डॉक्टर ने डॉक्टरों से अपील करते हुए कहा कि प्लस थेरेपी प्रारंभ करने से घबराए नहीं और उसे अच्छी डोज में दे जो दवाइया एंटीवायरल के लिए कही जा रही है जिसमे रेमडेसीवर इंजेक्शन है या जो अन्य है ये तो ये कहूंगा कि यह ऐसी दवाइया नही है जो बहुत आवश्यक है या बहुत रामबाण हो जो कोई जादू कर सके। अगर इस दवाइयों से ज्यादा प्रभाव वाली दवाइयों की बात करे वह डेक्सामेंथासोन होगा जो कि बहुत ही सस्ते में और गाँव गाँव मे उपलब्ध है अगर सभी लोग डॉक्टर की सलाह पर ये दवाइया लेना शुरू करेंगे तो निश्चित रूप से बडी संख्या में जो जाने जा रही है हम उसे बचाने में कामयाब हो सकेंगे।

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