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    कोविड-19 प्रबंधन हेतु गठित टीम-09 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश |



    गोरखपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने तीन दिवसीय गोरखपुर प्रवास के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी टीम नाइन के साथ बैठक करते हुए निर्देशित किया कि टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट के मंत्र के अनुरूप कोरोना के खिलाफ हमारी रणनीति कारगर सिद्ध हो रही है। एक ओर जहां प्रदेश में कोविड टेस्टिंग में हर दिन एक नया रिकॉर्ड बन रहा है, वहीं दैनिक केस में निरंतर कमी आती जा रही है और रिकवरी दर बेहतर होता जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 62,271 एक्टिव कोरोना मरीज हैं। एक्टिव केस में यह कमी अच्छे संकेत देती है। 30 अप्रैल की पीक की स्थिति के सापेक्ष 26 दिन के भीतर मरीजों की संख्या मात्र 20 फीसदी रह गई है। प्रदेश के रिकवरी दर में हर दिन बेहतरी हो रही है। अब यह 95.1% तक पहुंच गया है। विगत 24 घंटों में कोविड संक्रमण के 3,371 केस सामने आए हैं, जबकि इसी अवधि में 10,540 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हुए हैं। कोविड टेस्टिंग में उत्तर प्रदेश हर दिन एक नया रिकॉर्ड बना रहा है। बीते 24 घंटे में 03 लाख 58 हजार 273 टेस्ट किए गए हैं। इसमें 01 लाख 48 हजार सैम्पल आरटीपीसीआर के लिए जिलों से भेजे गए हैं। एक दिन में इतने टेस्ट, करने वाला एकमात्र राज्य उत्तर प्रदेश है। वर्तमान में टेस्ट पॉजिटिविटी दर मात्र 1 फीसदी रह गई है। ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के संबंध में सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।  आज से एसजीपीजीआई के विशेषज्ञ भी इन मरीजों की स्थिति पर सीधी नजर रखेंगे। लखनऊ, मेरठ, गोरखपुर, वाराणसी सहित जहां कहीं भी ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज हो रहा है, एसजीपीजीआई के विशेषज्ञों के सुपरविजन में होगा। स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग सभी अस्पतालों के सतत सम्पर्क में रहें, कहीं भी उपयोगी दवाओं का अभाव न हो।प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा तंत्र को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। बीते चार वर्षों में इस क्षेत्र में अनेक प्रयास किये गए हैं, जिनसे आधारभूत संरचना समृद्ध हुई है
    निर्माणाधीन सीएचसी/पीएचसी का कार्य समय से पूरा किया जाए। इसके लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त कर निर्माण कार्य की सतत मॉनीटरिंग कराई जाए। प्रदेश के सभी जनपदों की सीएचसी और पीएचसी में उपकरणों की मरम्मत, क्रियाशीलता, परिसर की रंगाई-पुताई, स्वच्छता और मैन पावर की पर्याप्त उपलब्धता के संबंध में इस संबंध विशेष कार्यवाही तेज की जाए। इसके लिए एक विशेष टीम गठित हो, जो इसकी सतत मॉनीटरिंग करे। बेसिक शिक्षा विभाग में 'ऑपरेशन कायाकल्प' की तर्ज पर स्वास्थ्य और मेडिकल एजुकेशन विभाग में भी अभियान चला कर व्यवस्था सुदृढ़ की जाए। स्वास्थ्य मंत्री के स्तर से भी सभी दलों के जनप्रतिनिधियों से सहयोग का आग्रह किया जाए। आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं सतत जारी रखी जाए। स्वास्थ्य विभाग के अधीन संचालित सभी पीएचसी, सीएचसी, हेल्थ सेंटर, जिला अस्पताल की सुविधाओं का एक डेटाबेस तैयार किया जाए। इनकी जियो मैपिंग करते हुए किस केंद्र पर कितने चिकित्सक हैं पैरामेडिकल स्टाफ की स्थिति क्या है, दवाओं की उपलब्धता कितनी है, भवन, उपकरणों की क्या स्थिति है, आदि के संबंध में जानकारी देने वाला मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया जाना चाहिए। यह आमजनता के लिए उपयोगी होगा। इंसेफेलाइटिस पर रोकथाम के दृष्टिगत सर्विलांस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। कोरोना की चेन तोड़ने में भी निगरानी समितियों ने सराहनीय कार्य किया है। अब एक ओर जहां विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई है वहीं बरसात का मौसम प्रारंभ होने वाला है और इंसेफेलाइटिस की समस्या भी बढ़ने की संभावना होगी। अतः प्रो-एक्टिव नीति के तहत हमें सर्विलांस को और बेहतर करना होगा। बुधवार और गुरुवार को मेरे द्वारा देवरिया, कुशीनगर, बस्ती और सिद्धार्थ नगर जैसे इंसेफेलाइटिस प्रभावित जिलों में तैयारियों की समीक्षा की जाए। अन्य सभी जिलों में भी सतर्कता बरती जाए।सभी जिलों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं। वेंटिलेटर संचालन के लिए एनेस्थेटिक और तकनीशियन की तैनाती भी की गई है। इस संबंध में अभी और मानव संसाधन की आवश्यकता पड़ेगी। ऐसे में आईटीआई व अन्य कौशल विकास केंद्रों से प्रशिक्षित युवाओं को इन उपकरणों के संचालन का प्रशिक्षण देकर उनकी सेवाएं ली जा सकती हैं। इस संबंध में यथासंभव शीघ्रता से कार्यवाही की जाए। होम आइसोलेशन में उपचाराधीन मरीजों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाए। कल मात्र 15 एमटी ऑक्सीजन की मांग इन मरीजों की ओर से की गई। इनसे लगातार संवाद बनाए रखा जाए। इनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए टेलीकन्सल्टेशन के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श की व्यवस्था को और बेहतर किया जाए। चिकित्सकों की संख्या, फोन लाइन की संख्या में बढ़ोतरी की जरूरत है। निगरानी समितियों के माध्यम से होम आइसोलेशन के मरीजों और जरूरत के अनुसार उनके परिजनों को मेडिकल किट उपलब्ध कराई जाए। मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की सतत मॉनीटरिंग की जाए। जनपदीय आइसीसीसी और सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से मरीजों से संवाद कर उन्हें मिल रही सुविधाओं की जांच कराई जाए। लगातार प्रयासों से ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में संतुलन की स्थिति बन गई है। प्रदेश के सात प्रौद्योगिकी संस्थानों से कराई गई ऑक्सीजन ऑडिट से वेस्टेज रोकने में बहुत सहायता मिली है। विगत 24 घंटे में 663 एमटी ऑक्सीजन वितरित की गई, इसमें 396 एमटी केवल रीफिलर को उपलब्ध कराई गई। ऑक्सीजन उपलब्धता की स्थिति को देखते हुए औद्योगिक इकाइयों को उनके उपयोग के लिए ऑक्सीजन उपयोग की अनुमति दी जानी चाहिए। औद्योगिक गतिविधियां सामान्य रूप से क्रियाशील रखी जाएं।

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