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    36 घण्टे बाद बहाल हुई विद्युत आपूर्ति


    जमुई। चक्रवाती तूफान का झोंका जमुई तक पहुंचने से पहले ही जिले की बत्ती गुल होने लगी। आलम यह हुआ कि तेज हवा और बारिश गुरुवार को हुई लेकिन ग्रामीण इलाकों में बुधवार से ही विद्युत आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई। एक दिन की बारिश और हवा ने जिले भर के लोगों की जिदगी बेपटरी कर दी। आखिरकार चापाकल और कुआं ही लोगों के काम आया। सरकारी और निजी पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था बिजली के बिना अनुपयोगी बनकर रह गया। विभागीय अदूरदर्शिता और लापरवाही की स्थिति यह रही कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर पर्यटन के क्षेत्र में पहचान स्थापित करने वाले भगवान महावीर की धरा पर भी विद्युत आपूर्ति बहाल करने में विभाग को 36 घंटे का वक्त लग गया। कमोवेश यही स्थिति जिले के अन्य प्रखंडों की भी रही। तेज हवा और बारिश से बिजली आपूर्ति बेपटरी होने के बाद विद्युत सु²ढ़ीकरण को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।

    लछुआड़ निवासी चंदन कुमार दिलीप कुमार सहित अन्य लोगों ने बताया की बुधवार की शाम विद्युत आपूर्ति ठप हुई थी जो शुक्रवार की सुबह बहाल हुई। खैरा निवासी गोपालपुर पैक्स अध्यक्ष पुरुषोत्तम सिंह बताते हैं कि यहां भी विद्युत आपूर्ति बुधवार से ही बाधित हो गई थी जो शुक्रवार को बहाल हुई। यहां बता दें कि खैरा और सिकंदरा प्रखंड से भगवान महावीर की जन्मस्थली संबंद्ध है। खैरा प्रखंड अंतर्गत क्षत्रियाकुंड ग्राम उनका जन्म स्थान है जबकि सिकंदरा प्रखंड अंतर्गत च्यवन कल्याणक एवं गर्भ कल्याणक मंदिर के अलावा पर्यटकों के ठहराव के लिए विशालकाय धर्मशाला मौजूद है।

    कागजों में ही सिमट कर रह गया तूफान से पहले अलर्ट का आदेश

    यास ने अलर्ट और प्रशासनिक तैयारी की भी परीक्षा ले ली। गनीमत यह रही कि हवा की रफ्तार अधिकतम 30-35 किलोमीटर प्रति घंटा थी, अन्यथा कितने दिनों के लिए विद्युत व्यवस्था बाधित होती इसका कोई अंदाजा नहीं है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गिरीश सिंह अलर्ट और तैयारी पर सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि यह कैसी तैयारी थी जो ग्यारह हजार और 33000 केवीए के लाइन के अगल-बगल की टहनी की भी छंटाई नहीं हो पाई थी। जबकि, इसके लिए नियमित पेट्रोलिग तथा आवंटन की व्यवस्था विभाग में होती है। सिकंदरा अंतर्गत बिछवे गांव निवासी नरेंद्र यादव कहते हैं कि अब तो गांव में भी सब कुछ बिजली पर ही आश्रित है। ऐसे में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था लगातार 36 घंटे तक बाधित होने के बाद लोगों के लिए पानी की सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है।


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