बिहार में मई के बारिस ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, जानिए 48 घण्टे कैसा रहेगा मौसम
पटना। देश के पश्चिमी भाग में कहर बरपा रहे ताउते तूफान ने दूसरे दिन पूरब में दो हजार किमी दूर बिहार में भी अपना असर दिखाया। मई के जिस महीने में पूरे बिहार में अधिकतम तापमान 40 डिग्री से ऊपर रहा करता था, वहां पारा सामान्य से पांच से आठ डिग्री नीचे पहुंच गया है़ हवा में सिहरावन-सी महसूस हो रही है़ वैशाख के इस महीने में सावन जैसी बरसात की झड़ी लगी है़ अगले 48 घंटे इसी तरह का मौसम बिहार में बने रहने के आसार हैं।
आइएमडी, पटना की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक अगले 48 घंटे प्रदेश के कई हिस्सों में सामान्य से मध्यम बारिश होने के आसार हैं। नमी युक्त पुरवैया 30 से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पूरे प्रदेश में बह रही है़। फिलहाल मई में खुशनुमा लग रहे इस मौसम के साइड इफेक्ट सर्दी, जुकाम और बुखार के रूप में सामने आ सकते हैं।
के साइड इफेक्ट के चलते बने चक्रवाती सिस्टम से पूरा प्रदेश प्रभावित है़ बुधवार-गुरुवार की रात से अब तक पटना में 56 मिलीमीटर, कैमूर जिले चांद और मोहनिया में 62 मिलीमीटर, रोहतास जिले के दिनारा, इटाढ़ी और सीवान में 50-50 मिलीमीटर, मोतिहारी में 40 मिलीमीटर सहित पूरे प्रदेश में अच्छी बारिश हुई है़।
पूरे प्रदेश में गुरुवार को औसत बारिश आठ से दस मिलीमीटर के बीच हुई है़। यह सामान्य से 300 फीसदी अधिक है़ विशेष तथ्य है कि मई में प्रदेश में एक मई से अब तक 70 मिलीमीटर से अधिक बारिश हो चुकी है़। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में मई की बारिश का अब तक के सारे रिकार्ड टूट गये हैं।
किसानों के लिए सलाह
आगत मूंग और उड़द की तुड़ाई करें। पछाती बोयी गयी मूंग और उड़द फसलों में पीला मोजेक रोग पर नजर रखें। इस तरह के मौसम में इसका वायरस संक्रामक हो जाता है़।
गन्ना किसानों को चाहिए कि कालिका रोग की संभावना के मद्देनजर कुछ रुक जाएं।
खरीफ के लिए खेत की तैयारी करने के लिए यह समय उपयुक्त है।
हल्दी और अदरक की बुआई करें।
धान की खेती के लिए समुचित सिंचाई क्षमता रखने वाले 10 दिन बाद बिचड़ा लगा सकेंगे।
आम की फसल पर आंशिक असर पड़ने की आशंका है़।
अगले दो दिन और बारिश
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ ए सत्तार ने कहा कि बिहार में ताउते तूफान के असर से यह बारिश हो रही है़। यह बारिश अगले दो दिन और होने की संभावना है़। हालांकि, यह मौसम सामान्य के विपरीत है़ चूंकि व्यापक पैमाने पर इस मौसम में खेती होती नही है़। इसलिए नुकसान की संभावना कम ही है़ कुछ सब्जी आदि की फसलों पर असर संभव है़।
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