लेखिका एवं कवयित्री सरिता सिंह की पुस्तक का हुआ विमोचन
गोरखपुर।हिंदी के जाने-माने कवि लेखक एवं एटा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर राकेश सक्सेना के कर कमलों से सरिता सिंह की पुस्तक का हुआ विमोचन। मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर मंत्र, कार्यकारिणी अध्यक्ष रोहित कुमार रोज एवं राष्ट्रीय सचिव मिथिलेश सिंह तथा कई जिलों के साहित्य कारों ने ऑनलाइन दी बधाइयां। आपको बता दें कि सरिता सिंह पत्नी डॉ राकेश कुमार जिनकी
जन्म 26 सितंबर 1987 एवं शिक्षा एमबीए लखनऊ विश्वविद्यालय एवं बीएड गोरखपुर विश्वविद्यालय से की हैं।इनकी प्रकाशित रचनाओं मे तुम्हारी गिलोय, अपराजिता की बेल स्त्रियों के अंतर्मन के झंझावात, मजदूरों की बेटियां, मंदोदरी विलाप, करवा चौथ, जीवनसाथी, सैनिक, मां जैसी नहीं देखी, भाई दूज, नारी नारायणी, तिरंगा , बापू आहत है, बचत का महत्व, औरत मशीन है, मैं स्वामित्व चाहती हूं, तुम्हारी गाय, अधूरी नारियां किन्नर एवं प्रकाशित कहानियां -
नचनिया, अस्तित्व की तलाश ,तारो जड़ी साड़ी, आलू की सब्जी, वनवास , दहेज की रजाई, परिवार , रीना की पहली तीज ।
नचनिया, अस्तित्व की तलाश ,तारो जड़ी साड़ी, आलू की सब्जी, वनवास , दहेज की रजाई, परिवार , रीना की पहली तीज ।
प्रकाशित लेख, काया एक माया, खिचड़ी मेला गोरखपुर योग का महत्व, राजनीति शतरंज, बाल मनोविज्ञान , स्त्री विमर्श।
साझा संग्रह एवं पुस्तकें नारी नारायणी, सफलता सफर संघर्षों का, स्वतंत्र लेखन साहित्य रेखा, सेना विशेषांक,होली विशेषांक, मां पत्रिका,हम पंछी एक डाल के, अनुभूति (उमेश स्वामी), संगम सवेरा ई पत्रिका से प्रकाशित रचनाएं। इनको जो अभी तक
प्राप्त सम्मान हैं- काव्य गौरव ,दीपोत्सव रत्न, सरस्वती स्वरूपा, सिने सम्मान, श्रेष्ठ रचनाकार श्रेष्ठ आलोचक,सुपर वूमेन अवार्ड 2021, उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान, उत्तर प्रदेश विश्व हिंदी लेखिका मंच एवं कई आभासी मंचों से 50 से ज्यादा ई प्रमाण पत्र हैं। इनका पसंदीदा विषय, नारी विमर्श नारी उत्थान, सामाजिक समस्याओं, दहेज प्रथा विवाह के बदलते प्रतिमान तथा समाज सुधार है।
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