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    कोरोना काल में लाल और हर्बल चाय बना स्वरोजगार का आधार



    कुशीनगर।कोरोना महामारी के चलते कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे देश को पूर्ण रूप से झकझोर दिया है, पूर्व में लगे हुवे लॉकडाउन और वर्तमान समय मे कही पर बार बार हो रहे साप्ताहिकी बन्दी या अनिश्चितकालीन बन्दी ने आम आदमी से लेकर उद्योगपतियो तक के आगे अनेको मुश्किले खड़ा कर दिया है। मजदूर तबके लोगो के आगे तो रोजी रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है। पर इस भागमभाग की जिंदगी में बढ़ती हुई निजी जरूरतों ने कई लोगो के अंदर सबसे अलग कुछ करने की चाह जगा दी है। बदलते हुवे माहौल के बदले हुवे परिवेश में बाजार के बार बार खुलने और बन्द होने और आर्थिक संकट से उबरने का सोच और कुछ सबसे अलग करने का उत्साह ने एक रोजगार को और बढ़ावा दे दिया है। जी हां हम बात कर रहे है कोरोना काल मे लाल और हर्बल चाय का, जिसकी मांग पूर्व के अपेक्षाकृत आजकल कुछ ज्यादे ही बढ़ गया है। और बढ़ेगा भी क्यो नही, क्योकि हर्बल में किसी भी प्रकार के रासायनिक उत्पादनो का प्रयोग या मिश्रण नही होता है, और यह रासायनिक दवाओं के मुकाबले काफी हद तक कारगर भी साबित होती है, और इसका कोई नुकशान भी नही है।
    नेबुआ नौरंगिया थानाक्षेत्र के अंतर्गत स्थित नेबुआ रायगंज तिराहे पर बुधवार को दोपहर बाद का नजारा देखने लायक था। दूर से देखने पर एक व्यक्ति को करीब साथ आठ लोग घेरे हुवे थे। किसी अनहोनी या घटना के संदेह पर जब हमने मौके पर जाकर देखा तो एक लाल चाय बेचने वाले के पास कुछ लोग चाय पी रहे थे तो कोई चाय की मांग कर रहा था। पर चाय विक्रेता एक व्यक्ति को इसको बनाने और इसमें मिलाये गए सामग्रियों के विषय मे बता रहा था। अनेको लोगो के चाय पीने की लालसा ने पत्रकार को भी चाय पीने पर विवश कर दिया, चाय पीने पर उसका स्वाद बिल्कुल वैसा ही था जैसा कि कुछ समय पूर्व चाय विक्रेता उस ग्राहक को बताया था।
    उक्त चाय विक्रेता कोई और नही हनुमानगंज थानाक्षेत्र के दरगौली, डोमनपट्टी निवासी योगेन्द्र गुप्ता जो आईएमसी के कार्यकर्ता भी है वही थे।
    चाय के विषय मे पूछताछ करने पर उन्हों ने बताया कि उक्त चाय को तैयार करने में 22 प्रकार की जड़ी- बूटियों का प्रयोग किया जाता है जो कि सभी हर्बल उत्पादन है, इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक चीजो का प्रयोग नही किया गया है। हर्बल चायपत्ती, तुलसी,लौंग, इलायची, काली मिर्च, मुरेठी, तेजपत्ता, अजवाइन, सौफ, जावित्री, धनिया, गिलोय और काला नमक से लेकर अनेको और जड़ी बूटियों से बना यह चाय हर मायने में कारगर साबित होती है। और किसी भी पहलू से इसका कोई भी नुकसान नही है।
    चाय विक्रेता योगेन्द्र गुप्ता ने बताया कि पूर्व के समय सुबह से लेकर शाम तक बड़ी मुश्किल से 5 या 6 सौ रुपये तक की बिक्री होती थी। पर कोरोना काल मे इसकी बिक्री दुगुनी हो गयी है। जिससे मुझे अच्छा खासा आमदनी भी हो जाता है।
    वहा पर स्थानीय गावँ निवासी विरेन्द्र गुप्ता, जितेन्द्र चौधरी, संतोष वर्मा, विनय शर्मा, लक्ष्मीपुर के पाण्डेय छपरा निवासी बृजेश गुप्ता, केरवनिया (नेबुआ) निवासी रामज्ञान गुप्त, छितौनी निवासी दिनेश कुमार और पडरौना शहर निवासी संजय ने बताया कि दूध वाले चाय पीने से अनेको प्रकार के नुकसान है, पर लाल और हर्बल चाय पीना हर मायने में फायदेमंद साबित हो रहा है। कफ, सरदर्द, सर्दी जुकाम और बुखार से लेकर हाजमा तक को दुरुस्त रखने में काफी कारगर साबित हो रहा है। और कम कीमत में बेहतरीन चाय पीने को मिल रहा है। वही चाय विक्रेता ने बताया कि आम आदमी से लेकर प्रशासनिक स्तर के लोग औषधीय गुणों से भरपूर इस चाय पीने को हमेशा पीते रहते है। कुछ शौकीन लोग फोन पर ही आर्डर दे देते है तो क्षेत्र में निकलने पर मजदूर तबके से लेकर वीआईपी वर्ग के लोग रास्ते मे ही रोककर चाय की मांग करते और पीते है ।।

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