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    कोरोना काल में कारगर सिद्ध हो रहे हैं संयुक्त परिवार

    ब्रह्मपुर गोरखपुर। कोरोना संक्रमण के दौर में बेहद कारगर साबित हो रहे हैं संयुक्त परिवार। यद्यपि कि संयुक्त परिवारो का चलन तो भारत में प्रारंभ से ही रहा है जिसके माध्यम से बड़े से बड़े कष्ट को संयुक्त परिवार झेल लेते थे परन्तु ब्रिटिश काल में संयुक्त परिवारों पर गहरा आघात किया गया। रही सही कसर उदारीकरण ने पूरी कर दी और परिवार नामक संस्था टूट कर बिखर गई। तमाम घात प्रतिघात और द्वंद्व के बीच गोरखपुर जनपद में छत्रधारी यादव का परिवार एक नजीर है। 
    हताश होते जीवन और बढ़ती वैमनष्यता के लिए परिवारों के टूटन भी जिम्मेदार है। व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा ने सार्वजनिक हित की हमारी परंपरा को भारी ठेस पहुँचाई है। जब परिवार तरक्की के नाम पर टूट गए। सहोदर भइयो के बीच बोल-चाल बन्द हो। माँ-बाप के लिए अनाथालय अस्तित्व में आ गए हो।
    गोरखपुर मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर विकास -खण्ड ब्रह्मपुर में स्थित जिले की बड़ी गाँव सभाओ में से एक ऐतिहासिक महत्व वाले गांव 'राजधानी' एक संयुक्त परिवार के कारण भी चर्चा का केंद्र बना रहता है। यद्यपि कि इस गांव का समीकरण बुद्ध कालीन गणराज्य पिपलिवन से लगाया जाता है। असहयोग आंदोलन के दौरान हुए चौरी -चौरा कांड के नायक अब्दुल्लाह जिनके खिलाफ ब्रिटिश हुक़ूमत बनाम अब्दुल्लाह का मुकदमा चला था और कई नाम राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े है जो इसी गांव के हैं।
    ऐतिहासिक महत्व वाले इस गांव में संयुक्त परिवार के अनिवार्य शर्तों मसलन एक तवे की रोटी, एक छत का निवास, तीन पीढ़ियों का साथ, सम्मिलित आय, सम्मिलित तरक्की आदि के साथ रहता है यह कुनबा।
    आवास चार खण्डों में विभक्त है जिसमे भोजनालय , गौशाला, अतिथिशाला और आवास। आवास के बगल में वाटिका ,ट्यूवेल और अच्छी बिजली के लिये ट्रांसफार्मर और शुद्ध जल के लिए जलकल केंद्र है।
    गांव के किसान और पशुपालक राजबली यादव के चार पुत्र और एक पुत्री है। जिनके बड़े पुत्र जिले के प्रतिष्ठित कॉलेज के प्राचार्य रह चुके स्वर्गीय रामचन्द्र यादव ने प्रारम्भ में शिक्षा का अलख जगाकर परिवार को शून्य से आगे बढ़ाया। दूसरे पुत्र राम कवल यादव जो दिवंगत है एक मजे हुए किसान थे। तीसरे पुत्र छत्रधारी जो उच्च शिक्षित हैं। जो एक कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य हैं और गांव के वर्षो तक प्रधान रहे।
    पुत्री गिलासी देवी की शादी पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारी आर.एस यादव से वाराणसीे में हुई है। चौथे पुत्र पौहारीशरण यादव पूर्वी रेलवे कोलकाता में स्पोर्ट्स के जनरल सेक्रेटरी रहे हैं। परिवार के मुखिया ग्राम प्रधान छत्रधारी यादव अपना आदर्श अपने बड़े भाई स्वर्गीय आचार्य राम चन्द्र यादव को मानते है उनका कहना है भाई-भाई की भुजा होता है।संयुक्त परिवारों में बिपत्ति को झेल जाने की अद्भुत क्षमता होती है।बच्चो के लालन -पालन में आसानी होती है।
    परिवार में कार्य का विभाजन है सुधाकर यादव खेती किसानी और पशुपालन की जिम्मेदारी सम्भालते हैं । उनके सहयोग के लिए गांव के गुलहसन और भरत हैं।
    सब्जी और दूध के लिये परिवार बाजार पर आधारित नही है उक्त जरूरतें पुश्तैनी खेती और पशुपालन से पूरा हो जाता है। दिवाकर यादव उत्तर-प्रदेश परिवहन में ट्रैफिक इंस्पेक्टर है।जबकि अखिलेश रेलवे,शैलेश पुलिस,कमलेश सेना,सुरेश यादव पंचायत राज विभाग ,गिरिजा देवी बाल एवम पुष्टाहार विभाग और सतपाल इंजीनियर हैं।
    परिवार के आदर्श रामचन्द्र यादव के नाम से आर सी चिल्ड्रेन, राम चन्द्र यादव इंटर कॉलेज और डिग्री कॉलेज है जिसकी जिम्मेदारी उच्चशिक्षित रामउग्रह यादव और डॉ. राकेश यादव निभाते हैं।
    परिवार के योगेंद्र यादव 'जिज्ञासु ',डॉ रेणु ,सुचित्रा ,उमेश यादव,सुचिता और जयंती शिक्षक हैं।
    दीपिका,प्रियम्वदा,ममता,रतन पाल ,कुंवरपाल , रतनपाल समरपाल,गौरव राजदीप आदि उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं धर्मपाल ,कृष्णपाल, शौरभ, पार्थ, प्रज्वल, उज्ज्वल, पथ्या, गार्गी , निशांत, शिवांगी, नितिन,आदेश अविरल,दीपशिखा व स्वधा आदि के स्कूली दिन हैं। परिवार को सजोने में वयोवृद्ध छबिया देवी,शांति और चंद्रावती देवी की विशेष भूमिका है।भोजन घर की महिलाएं मिल-जूल कर बना लेती हैं।शादी-विवाह,तीज त्योहार सब में गज़ब का मेल- जोल होता है।इस परिवार में रोज होली दीवाली का माहौल होता है। भारत में संयुक्त रहने की परंपरा रही है उदारीकरण के बाद परिवार तेजी से टूटे है सहोदर भाई,चाचा,बुआ चाची, दादी जैसे शब्द दस्तावेज का रूप लेने वाले है ऐसे में यह परिवार बतौर मिशाल पूरी एकजुटता से स्वस्थ्य परंपरा को निभाने में लगा है।
    जबसे उदारीकरण शुरू हुआ एक अलहदा प्रयोग शुरू हुआ।औद्योगिक घराने अपने व्यापारिक हित के लिए संयुक्त होते हैं लेकिन संयुक्त रहने की सम्वेदनशील और शर्तें लागू नहीं होती है। समाज शास्त्रियों का कहना है-- ''परिवारों को टूटन से बचाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है अनुशासन ,संस्कार, रोजगार परख शिक्षा और नैतिक मूल्य। अगर परिवारों में विभाजन रुक जाय तो तमाम समस्याएं अपने आप हल हो जाएँगी।वास्तव में विभाजन एक अंतहीन दर्द है। रिश्ते नाते और मजबूत परम्परा के अनुपस्थति के दौर में ऐसे परिवारों की उपस्थिति एक मिशाल है। परिवार के एक जिम्मेदार प्राचार्य राम उग्रह यादव ने बेबाकी से संयुक्त परिवारों की महत्ता पर कहते हैं -- एकल परिवार कमजोर और कहीं न कहीं झूठी मर्यादा और खोखले पन से अभिशप्त हैं और संक्रमण के दौर में एकल परिवार लाचारी और बेवशी के शिकार हैं। इसके उलट संयुक्त परिवार निश्चित ही मजबूत और दुःख से लड़ने में सक्षम हैं।
    लेख साभार- 
    योगेन्द्र यादव 'जिज्ञासु'
    राजधानी,गोरखपुर।


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