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    विवादित धार्मिक स्थल गिराए जाने पर सियासत तेज, सपा प्रमुख ने बनाई जांच कमेटी


    बाराबंकी।
    उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में सौ साल पुरानी एक मस्जिद अतिक्रमण के नाम पर गिराए जाने को लेकर सियासत तेज़ हो गई। इसे लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अश्य्क्ष अखिलेश यादव दुख जताया है। उन्होंने इसे लेकर पार्टी तरफ से जांच कमेटी बनाई है। इस कमेटी में 3 विधायक 3 कैबिनेट मंत्री समेत 9 लोगों को इसकी जिम्मेदारी दी है।बता दें कि बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी ने एक बयान में कहा "प्रशासन ने खास तौर पर रामसनेहीघाट के उप जिलाधिकारी द्वारा अवैध अतिक्रमण हटाने के नाम पर तहसील परिसर के पास स्थित 100 साल पुरानी एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया है।मैं इस अवैध और मनमानी कार्रवाई की कड़ी निंदा करता हूं।" उन्होंने कहा "यह कार्रवाई न सिर्फ कानून के खिलाफ है बल्कि शक्तियों का दुरुपयोग भी है। साथ ही उच्च न्यायालय द्वारा गत 24 अप्रैल को पारित आदेश का खुला उल्लंघन है।

    उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उस मस्जिद की बहाली, घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्च न्यायालय में जल्द ही मुकदमा दायर करेगा।" समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष मौलाना अयाज अहमद ने भी दावा किया कि रामसनेही घाट स्थित गरीब नवाज मस्जिद को ढहा दिया गया है। उन्होंने एक बयान में कहा "यह अत्यंत शर्मनाक घटना है। बाराबंकी हमेशा गंगा-जमुनी तहजीब का केंद्र रहा है। पुलिस प्रशासन ने सोमवार रात कोरोना कर्फ्यू की आड़ में रामसनेहीघाट की गरीब नवाज मस्जिद को शहीद कर दिया है। यह मस्जिद वक्फ बोर्ड में दर्ज है और यह आजादी से पहले की बनी है।" अहमद ने कहा "हम प्रशासन के इस कदम की कड़ी निंदा करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि मस्जिद को दोबारा बनाया जाए और उप जिलाधिकारी को निलंबित करके मामले की सीबीआई जांच कराई जाए।"

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