चिपको आन्दोलन के प्रणेता सुन्दर लाल बहुगुणा का निधन हुआ
मशहूर पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन के प्रणेता रहे सुंदर लाल बहुगुणा का निधन हो गया। ऋषिकेश एम्स में शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि डायबिटीज के साथ वह कोविड निमोनिया से पीड़ित थे। उत्तराखंड बीजेपी ने अपने सोशल मीडिया पर श्रद्धाजंलि दी। बहुगुणा की उम्र 94 वर्ष थी। कुछ देर पहले ही महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फोन पर उनकी तबीयत की जानकारी ली थी। कोरोना संक्रमित होने के बाद 8 मई को सुंदर लाल बहुगुणा एम्स ऋषिकेश में भर्ती हुए थे। गुरुवार को डॉक्टरों की टीम ने इलेक्ट्रोलाइट्स और लीवर फंक्शन टेस्ट समेत ब्लड शुगर की जांच और निगरानी की सलाह दी थी। चिपको आंदोलन सबसे बड़ी उपलब्धि हिमालय के रक्षक सुंदरलाल बहुगुणा की सबसे बड़ी उपलब्धि चिपको आंदोलन थी। वह गांधी के पक्के अनुयायी थे और जीवन का एकमात्र लक्ष्य पर्यावरण की सुरक्षा था। उनका जन्म 9 जनवरी, 1927 को उत्तराखंड के टिहरी में हुआ था। सुंदरलाल ने 13 वर्ष की उम्र में राजनीतिक करियर शुरू किया था। 1956 में शादी होने के बाद राजनीतिक जीवन से उन्होंने संन्यास ले लिया। उसके बाद उन्होंने गांव में रहने का फैसला किया और पहाड़ियों में एक आश्रम खोला। बाद में उन्होंने टिहरी के आसपास के इलाके में शराब के खिलाफ मोर्चा खोला। 1960 के दशक में उन्होंने अपना ध्यान वन और पेड़ की सुरक्षा पर केंद्रित किया।
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