चुनाव ड्यूटी में कोविड से मृतक शिक्षको की संख्या शासन द्वारा कम बताने पर बेसिक शिक्षको में भारी आक्रोश
चुनाव ड्यूटी में कोविड से मृतक शिक्षको की संख्या शासन द्वारा कम बताने पर बेसिक शिक्षको में भारी आक्रोश
गोरखपुर
उत्तर प्रदेश शासन के बेसिक शिक्षा मंत्री और बेसिक शिक्षा के अनुसचिव के चुनाव ड्यूटी में सिर्फ 3 शिक्षको के मृतक मानने पर शिक्षक समाज में भारी आक्रोश व्याप्त है।
इस सम्बंध में प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र ओझा ने बताया है कि चुनाव प्रशिक्षण और ड्यूटी के दौरान कोरोना से संक्रमित शिक्षकों के मौत को नकारकर प्रदेश सरकार ने संवेदनहीनता का परिचय दिया है।
शिक्षक नेता ने कहा कि सरकार रोज प्रचार कर रही है कि कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने के 7 से 10 दिन बाद लक्षण दिखते हैं फिर शिक्षक संक्रमित होकर तुरंत कैसे मर सकता है। इस बात को सरकार जानबूझकर नकार रही है। सरकार के नजर में इस प्रदेश के शिक्षक-कर्मचारी और उनके परिवारीजन प्रदेश के नागरिक की श्रेणी में नहीं आते हैं।इसी कारण वह उनके आश्रितों को अनुग्रह राशि न देने के लिये इतना बड़ा झूठ का सहारा ले रही है। जिसका जवाब इस प्रदेश की जनता और मृतक शिक्षक-कर्मचारियों के लाखों परिवारीजन समय पर मांगेंगे।
इस संबन्ध में बांसगांव ब्लॉक के शिक्षक नेता पंकज पाण्डेय ने कहा कि अनेक मृतक शिक्षकों के बच्चे अनाथ हो गए हैं,अनेक के नाबालिग बच्चे ही बचे रह गये हैं, अनेक परिवारों में कोई पुरुष नही बचा है।अनेक के एकमात्र बालिग पुत्र होने के कारण पेंशन नही मिल सकेगा,अनेक के केवल नाबालिग पुत्र होने के कारण 24 वर्ष की उम्र तक केवल पेंशन मिल सकेगा।
इस प्रकार जिले के कुल 49 शिक्षकों के परिवार एक तरह से बर्बादी के कगार पर आ गए हैं लेकिन सरकार को मृतक नही दिख रहे हैं।
शिक्षक नेता ने कहा कि शीघ्र ही प्रदेश नेतृत्व संघर्ष की रुपरेखा तय कर घोषित करेगा,और यह संघर्ष मृत शिक्षकों के परिवारीजन को अनुग्रह राशि दिलाने या सरकार के सत्ता से हटने तक जारी रहेगा।शिक्षक महासंघ ने भी सरकार के इस रवैये से भारी आक्रोशीत है,अगर सरकार ने अपने रवैये में सुधार नही किया तो भारी आंदोलन होगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
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