कोविड के विफलता से दरकती ज़मीन को वापस पाने की क़वायद भर है बाराबंकी में मस्जिद का गिराया जाना
हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस ने जनरल आर्डर पास किया था कि इस महामारी में किसी तरह की बैंक नीलामी, डिमाॅलिशन, उत्पीड़न की कार्रवाई 31 मई तक नहीं की जाएगी। फिर रातो रात ऐसी क्या अर्जेंसी आ गई कि मस्जिद डिमाॅलिशन कर दी गई? ज़ाहिर है सरकार इस महामारी में बुरी तरह एक्सपोज़ हो गई, है लिहाज़ा इनके कट्टर मतदाताओं में भी सरकार के खिलाफ बहुत गुस्सा है, जिससे मौजूदा सरकार का ऑक्सीजन लेवल बेहद कम हो गया है, इस डैमेज कंट्रोल के लिए एंटी मुस्लिम एक्टिविटी ही इस सरकार का आक्सीजन लेवल बढ़ा सकती थी। सो कार्रवाई कर दी गई। सांप्रदायिक सरकार को सांप्रदायिक अफसरों का साथ मिलना कोई नई बात नही है। इस ख़बर को गोदी मीडिया ने भले ही वरियता ना दी हो लेकिन गार्जियन जैसे बड़े न्यूज एजेंसी ने बता दिया कि पूरी दुनिया में सरकारी मानसिकता की थू थू हो रही है। तमाम इंडेक्स में भारत गिरता जा रहा है, रूल आफ लाॅ में भारत की साख गिर कर 69वें पायदान पर हो गई है। लेकिन इससे सरकार या उसके अंधभक्त मतदाताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्यूंकि इनके लिए छवि तो सिर्फ भारतवर्ष की धूमिल हो रही है जिसे सुधारने की जिम्मेदारी तो सिर्फ खालसा-एड एवं उन संगठनों की है जो बिना किसी धार्मिक भेद भाव के कोविद मरीजों की हर सम्भव मदद के साथ साथ उनकी अर्थी का ससम्मान अन्तिम संस्कार भी कर रहे हैं।,, इस उम्मीद के साथ कि,,,
"नफ़रतियों से मिलेगी मुक्ती एक दिन"
"हम सब होंगें कामयाब एक दिन"
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
राष्ट्रीय मानव अधिकार संघ-भारत
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