यूपी के गांवों और कस्बों में स्वास्थ्य सेवायें राम भरोसे, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
बनकटा, देवरिया। बांसगांव संदेश (प्रमोद कुमार)
अपना प्रदेश। प्रदेश में कोरोना से लड़ने के इंतजाम पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि मौजूदा हालात में उत्तर प्रदेश के गांव कस्बों और छोटे शहरों में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट जस्टिस अजीत कुमार और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की बेंच ने उत्तर प्रदेश में कोरोना से लड़ने के इंतजाम व टेस्टिंग को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने बिजनौर का उदाहरण लिया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई इस सुनवाई में डीएम बिजनौर ने कहा 31 मार्च 2021 से 12 मई के बीच बिजनौर शहर में 26245 और ग्रामीण इलाके में 65491 की टेस्टिंग की गई।
कोर्ट में दाखिल किए गए शपथ पत्र के अनुसार बिजनौर के 3 सरकारी अस्पतालों में 150 बेड, 5 बाइपेप मशीन, 17 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 250 ऑक्सीजन सिलेंडर है।वहीं 32 लाख के लगभग ग्रामीण आबादी के लिए 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 300 बेड हैं। यानी एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तीन लाख की आबादी का भार और 30 बेड की उपलब्धता जो कुल जनसंख्या का 0.01% है।
कोर्ट ने मेरठ मेडिकल कॉलेज से 64 वर्षीय बुजुर्ग संतोष कुमार के आइसोलेशन वार्ड में मृत होने और लापरवाही बरतते हुए उनके शव का लावारिस के तौर पर अंतिम संस्कार कराए जाने को लेकर कार्रवाई करने के आदेश दिए है। कोर्ट ने इस मामले में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और आश्रित परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया। वहीं दूसरी तरफ कोर्ट ने साफ कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए लगता है प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे हैं।
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