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    शहरी अस्पतालों में जगह नहीं, ग्रामीणों में ताला बंद, मरीज जाए तो जाए कहां?


    गजपुर पिएचसी पर सभी सेवा बंद, लगा है गंदगी का अंबार,बना पियक्कड़ों का अड्डा



    गजपुर,गोरखपुर।बांसगांव संदेश।
    पंचायत चुनाव के बाद कोरोना संक्रमण ने गांवों में भी पैर फैला लिया है। आए दिन ग्रामीणों के उपचार के अभाव व देरी से दम तोड़ने के मामले सामने आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कोई ठोस प्रबंध नहीं किए गए हैं। गजपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका हुआ है। यहां ना तो कोरोना टीकाकरण हो रहा है और ना ही कोरोना जांच की कोई सुविधा उपलब्ध है।ऑक्सीजन और बुखार चेक करने का भी कोई बंदोबस्त नहीं है। यहां किसी भी प्रकार का स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में ग्रामीण जाए तो जाए कहां। सूत्रों की माने तो गजपुर कस्बे में पिछले 15 दिनों में अब तक दो दर्जन की मौत हो चुकी है। हालांकि कोरोना जांच के अभाव में यह कहना मुश्किल है कि यह सभी मौतें कोरोना से हुई हैं।

    परिसर में फैली हुई है गंदगी और मेडिकल वेस्टेज


    गजपुर के इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जिम्मेदार अधिकारी इसका कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। मेडिकल वेस्टेज भी कूड़ेदान की वजह परिसर में यहां वहां फैला है। खुले में मेडिकल वेस्टेज और कचरा फेंके जाने से बीमारी फैलने की भी आशंका रहती है।
    गंदगी व दुर्गंध से इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नारकीय स्थिति बनी है।

    पियक्कड़ों का अड्डा बन चुका है ये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र :


     पूरे परिसर में शराब की खाली बोतलें, सिगरेट के डिब्बे, डिस्पोजल गिलास, पानी-पाउच,चखनों के पैकेटों का कचरा फैला हुआ है। जिससे यह स्पष्ट हो रहा है की यह स्वास्थ्य केंद्र असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है।


    किसान नेता आरपीएन सिंह विकास ने कहा कि
    "सरकार व स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य को लेकर लापरवाहव व पूरी तरह फ़ेल है। जिसका जीता जागता उदाहरण गंभीरपुर-बासूड़िहा सीएचसी व गजपुर पीएचसी सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बने तमाम अस्पताल है। शहर से लेकर गाँव तक हर जगह ओपीडी बन्द है। मरीज कॅरोना के साथ इलाज के अभाव में भी अपनी ज़िन्दगी से हाथ धो रहे हैं।इस पर सरकार को जनहित में त्वरित निर्णय लेना चाहिये" 




    गजपुर निवासी, समाजसेवी कमल नयन सिंह ने कहा कि 

    "ग्रामीणों में निर्मित सरकारी अस्पतालों में ताला लगा हुआ है। ना ही कोविड जांच हो पा रही है और ना तो टीकाकरण लग पा रहा है। प्राथमिक उपचार या दवाइयों कि सेवा उपलब्ध नहीं है। कोरोना संक्रमितों के साथ-साथ अन्य बीमारी से जूझ रहे मरीजों को दर-दर भटक कर जान गवानी पड़ रही है। ऐसे में गरीब ग्रामीण जाएं तो कहां जाएं।" 

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