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    लेना हो तो लीजिए नहीं तो जाइए,ग्राॅसरी सामानों के बढ़े दाम

    मुसीबतें साथ छोड़ दें तो फिर जिंदगी का क्या कहना..!  मगर आमतौर पर ऐसा होता नहीं है। कमोबेश आम आदमी, गरीब तबके तथा कम आय वर्ग वाले मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए तो जैसे परेशानियों से उनका चोली दामन का साथ होता है।

    तभी तो एक ओर कोरोना जैसी वैश्विक महामारी मुसीबत बनी है तो वहीं दूसरी ओर बाजार ने अपने तेवरों से सभी को डरा दिया है।
    अब खाद्य तेलों और खाद्यान्नों के दाम में तेजी का असर दिखाई देने लगा है। तेलों और दालों के भावों में फिर से बेतहाशा तेजी का तड़का लग चुका है।
    बाजार में सरसों, मूंगफली,सनफ्लावर, तेल, रिफाइंड, वनस्पति और देसी घी के भाव तेजी से ऊपर पहुंच गए हैं। आलम यह है कि प्रदेश में लंबे समय से चल रहे लाॅकडाउन में बंद चल रहे स्थानीय बाजारों में खपत और आपूर्ति में विषमता बढ़ गयी है। जरूरत के मुताबिक सामानों की उपलब्धता का झांसा देकर किराना व्यापारी ग्राहकों से मुंह मांगी कीमत वसूलने में लगे हुए हैं। मृतक भोज और मांगलिक आयोजनों में तेजी के कारण कारोबारियों के लिए बंदी (लाॅकडाउन) एक बहाना बन गया है। दुकानदार ग्राहकों से स्पष्ट रूप से कहते हैं कि क्या करें मंहगा मिल रहा है, मंहगा हो चुका है, आप चाहें तो लें नहीं तो कहीं और देख लें। लेकिन बाजार बंद होने से ग्राहक कहीं मोल-तोल भी नहीं कर पाते हैं।


    फुटकर कारोबारियों की मानें तो बड़े स्टॉकिस्टों की जमाखोरी के चलते दामों में तेजी से उछाल आ रहा है। दालें,खाद्य तेल, चायपत्ती के साथ ही बाजार में मसाले भी महंगे हुए हैं।
    किराना बाजार में धनिया 130 रुपए से बढ़कर 150 रुपए, जीरा 200 से 240 रुपए और मिर्ची 180 से 220 रुपए और मूंगफली दाना 100 से 120 रुपए प्रति किलो पर जा पहुंचे हैं। वहीं सरसों तेल 130 से 180 रूपए, रिफाइंड 140 से 165 रूपए तथा तूअर और मसूर दाल 110 से 140 रूपए,मटर और चना दाल 90 रूपए, मूंग दाल 170 रूपए,उड़द दाल 150 रूपए प्रति किलो की दर से बिक रहे हैं। हर परिवार में रोजमर्रा की जरूरत बन चुकी चायपत्ती की सबसे कम कीमत 250 रूपए प्रति किलो हो गई है। इन दिनों किराना बाजार में फिर एक बार बेतहाशा तेजी का माहौल बनने लगा है। स्टॉकिस्टों की जमाखोरी के कारण भी ये कृत्रिम तेजी बन रही है। जबकि सभी खाद्यान्न भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में बाजार में घरेलू सामानों के दामों में अभी और भी उछाल देखने को मिलेगा। 
    पिछले एक सप्ताह में ही फुटकर बाजारों में इन सामानों के दामों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है। वहीं स्थानीय दाल कारोबारियों की मानें तो पिछले कुछ समय से दालों की बिक्री पर वैसे ही ब्रेक लगा हुआ है। दालों की बिक्री 60 फीसदी से भी कम रह गई है। 
    क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि बाजार में यदि किसी सामान की कीमत 10 रूपए बढ़ती है तो फुटकर दुकानदार उसका मूल्य 10 रूपए और अधिक अपनी ओर से बढ़ा देते हैं। चोरी-छिपे अथवा प्रशासन द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर खुलने वाली दुकानों और व्यापारियों के मिजाज ही नहीं मिल रहे हैं। प्रशासन की सख्ती और चालान कटने के भय से झल्लाए दुकानदार अपने ग्राहकों से दो टूक सीधे यही कहते नजर आते हैं कि "हां दाम बढ़ गए हैं..!  आप को लेना हो तो लीजिए नहीं तो जाइए"।

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