Header Ads

ad728
  • Breaking News

    व्‍हाइट फंगस क्या है? विशेषज्ञ से जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

         बांसगांव संदेश / आकाश सिंह


    कोरोना महामारी की दूसरी लहर अभी जारी है इसी बीच ब्‍लैक फंगस के मरीज काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। दिल्‍ली समेत अन्‍य राज्‍यों में लोगों में तेजी से बढ़ रहे ब्‍लैक फंगस को देखते हुए राज्‍यों में इसे महामारी घोषित करने पर विचार हो रहा है। अभी विशेषज्ञ ब्लैक फंगस के इलाज और उसके खात्‍मे को लेकर रिसर्च कर ही रहे है कि अचानक व्‍हाइटफंगस यानी म्‍यूकरमाइकोनिस के मरीजों के आने की शुरूआत हो चुकी है। विशेषज्ञ के अनुसार ये वाइट फंगस ब्लैक फंगस संक्रमण से अधिक घातक हैं क्‍योंकि ये मनुष्‍य के मस्तिष्‍क और फेफड़ों को अपनी चपेट में लेकर प्रभावित करता है। केवल एक अंग नहीं, बल्कि फेफड़ों और ब्रेन से लेकर हर अंग पर असर डालता है। किंग जार्ज मेडिकल विश्‍वविद्यालय लखनऊ (केजीएमयू) की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सीनियर डाक्‍टर शीतल वर्मा से जानिए ये व्‍हाइट फंगस क्या है, इसके कारण, लक्षण और इलाज.....

    जानें किन अंगो पर होता है असर

    जानें किन अंगो पर होता है असर

    केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सीनियर डाक्‍टर शीतल वर्मा के अनुसार इसकी जल्‍द पहचान कर इ‍सका तुरंत इलाज किया जा सकता है। कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीज जो लंबे समय तक ऑक्‍सीजन सपोर्ट पर रहे उनमें ये वाइट फंगस मिला है। हालांकि ये पहले भी कैंसर, एसचआईवी मरीजों में देखा गया है। अगर जल्‍द इलाज शुरू हो जाता है तो मरीज को खतरा नहीं होता है।

    व्‍हाइट फंगस कैसे शरीर में करता है प्रवेश
    इसे कैंडिडा भी कहते है कमजोर इम्‍युनिटी वाले लोगों में होता है, विशेष रूप से मधुमेह, एचआईवी पेसेन्‍ट या स्टेरॉयड का प्रयोग। ये संक्रमण जो खून के माध्‍यम से शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है। ये बीमारी म्यूकॉरमाइसाइट्स नामक फफूंद से होती है जो नाक के माध्‍यम से बाकी अंग में पहुंचती है। ये फंगस हवा में होता है जो सांस के जरिए नाक में जाता है। इसके अलावा शरीर के कटे हुए अंग के संपर्क में अगर ये फंगस आता है तो ये संक्रमण हो जाता है।


    ये हैं मुख्य लक्षण


    ये हैं मुख्य लक्षण

    डाक्‍टर के अनुसार व्‍हाइट फंगस के लक्षणों में सिर में तेज दर्द, नाक बंद होना या नाक में पपड़ी सी जमना, उल्‍टियां, आंखें लाल होने के साथ सूजन आती है। अगर ज्‍वाइंट पर इसका असर होता है तो जोड़ों पर तेज दर्द होता है। ब्रेन पर अगर इसका असर होता है तो व्‍यक्ति की सोचने समझने की क्षमता पर असर दिखता है। बोलने में भी समस्‍या होती है। इसके अलावा शरीर में छोटे-छोटे फोड़े जो सामान्‍यतौर पर दर्द रहित रहते हैं। ऐसे कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डाक्‍टर से संपर्क करना चाहिए। ये संक्रमण एक से दूसरे व्‍यक्ति को नहीं होता, ये तभी होता है जब वो सीधे फंगस के संपर्क में आता है।

    कौन सी जांच करवानी चाहिए
    हाल ही में पटना मेडिकल कॉलेज में जो वाइट फंगस के जो चार मरीज मिले हैं। उनमें कोविड जैसे ही लक्षण थे। तसल्‍ली की बात ये है कि ये दवा देने पर ठीक हो सकते हैं। इसके मरीज का जब सीटी स्‍कैन होता है तो उसके फेफड़ों में कोराना जैसे ही संक्रमण दिखते है। जिसके चलते लोग कोरोना समझ कर घर में इलाज शुरू कर देते हैं। इससे मरीज की हालत बिगड़ जाती है। ऐसे में मरीज को रैपिंड एंटीजन और आरटी- पीसीआर टेस्‍ट निगेटिव आता है। अगर सीटी स्‍कैन में कोरोना जैसें लक्षण दिख रहे हैं तो मरीज का बलगम का कल्‍चर टेस्‍ट करवाने से व्‍हाइट फंगस का पता लगाया जा सकता है।


    व्‍हाइट फंगल इंफेक्शन आखिर होता क्यों हैं?

    व्‍हाइट फंगल इंफेक्शन आखिर होता क्यों हैं?

    डाक्‍टर शीतल अनुसार कोरोना मरीज इसकी चपेट में आ सकते हैं जो ऑक्‍सीजन सपोर्ट पर हैं। उनके फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है। जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है उन्‍हें इसका खतरा रहता है। संक्रमित चीजों या दूषित पानी के संपर्क में आने के अलावा कोविड संक्रमित गंभीर मरीज, जिन्हें ऑक्सीजन चढ़ाई जा रही हो, उन्हें भी संक्रमण हो सकता है। विशेषज्ञ ने बताया कि व्‍हाइट फंगस होने की वजह मरीज में इम्‍युनिटी की कमी होना है। स्‍ट्रेराइड का अधिक प्रयोग और अनियंत्रित शुगर रहने पर भी ये फंगस होने की संभावना अधिक होती है। अधिक समय होने पर संक्रमण शरीर के मुख्य अंगों को अपनी चपेट में ले लेता है और मरीज की ऑर्गन फेल होने से मौत भी हो सकती है इसलिए जल्‍द ही इलाज शुरू हो जाना चाहिए।


    जानें किन लोगों को है इससे अधिक खतरा

    जानें किन लोगों को है इससे अधिक खतरा

    केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सीनियर डाक्‍टर शीतल वर्मा ने बताया व्‍हाइट फंगस को आमतौर पर कैनिडा फंगस भी कहां जाता है। इसके कई प्रकार है जिनका वर्गीकरण किया गया है। उन्‍होंने बताया डॉयबटीज कंट्रोल न होने पर, एंटीबॉडीज का अधिक सेवन, लंबे समय तक स्‍टेरॉयड के इस्‍तेमाल से यह व्‍हाइट फंगस मरीजों को अपनी गिरफ्त में ले सकता है। नवजात बच्‍चों में ये फंगस डायर कैंडिडेसिसर बीमारी के रूप में सामने आती है। जिसमें क्रीम कलर के स्‍पॉट दिखते हैं। महिलाओं में ये ल्‍यूकोरिया की मुख्‍य वजह है। महिलाओं में ल्यूकोरिया यानी जननांग से सफेद स्त्राव रिसता है। इसके अलावा कैंसर, एचआईवी और कुपोषण का शिकार मरीजों को ये व्‍हाइट फंगस अपनी चपेट में ले सकता है क्‍योंकि उनमें इत्‍युनिटी कमजोर होती है।

    व्‍हाइट फंगस से कैसे बचा जा सकता है

    डॉक्‍टर शीतल ने कहा इस फंगस से बचना आसान है। ऑक्‍सीजन सपोर्ट, वेंटीलेटर मरीजों के लिए यूज किए जा रहे उपकरण विशेषकर ट्यूब जीवाणु मुक्‍त होने चाहिए। मरीज के नाक या मुंह पर लगे उपकरण फंगलयुक्त हो ये सुनिश्चित करना चाहिए। इसके अलावा उन लोगों में इसका खतरा ज्यादा रहता है जो डायबिटीज के मरीज हैं, या फिर लंबे समय तक स्टेरॉयड ले रहे हैं। ऑक्‍सीजन सिलेंडर ह्यूमिडिफायर के लिए स्‍टरलादज वॉटर का प्रयोग करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इस फंगस से मरीज को बचाने का एकमात्र उपाय है कि जो मरीज ऑक्‍सीजन सपोर्ट पर वह पूर्ण रूप से विषाणुमुक्‍त हो।


    कोई टिप्पणी नहीं

    thanks for comment...

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728
    ad728