बाँदा जेल के खूनी खेल में रातोंरात बदल डाले बाँदा जेल सुपरिटेंडेंट
रातों-रात बांदा जिला जेल में नये जेल अधीक्षक की तैनाती को भी मौजूदा हालातों में हल्के में नहीं लेना चाहिए। 14 मई 2021 को सुबह करीब 10 बजे (शुक्रवार) चित्रकूट जेल में मुख्तार अंसारी के राइट हैंड समझे जाने वाले कुख्यात गैंगस्टर मेराज और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खूंखार बदमाश मुकीम काला को अंशुल दीक्षित उर्फ अंशू बदमाश द्वारा भून डाला जाता है। बेकाबू हुए अंशुल को बाद में जेल और पुलिस सुरक्षाकर्मी घेरकर मार डालते हैं। यह सब खूनी और लोमहर्षक खेल तो चित्रकूट जेल में हुआ। इस घटना के मगर अगले ही दिन यानि शनिवार 15 मई को बांदा जेल में नये जेल-अधीक्षक ए.के. सिंह की तैनाती कर दी जाती है। सवाल यहीं से पैदा होने लगे कि जब बांदा जेल का चित्रकूट जेल कांड से आखिर कोई वास्ता ही नहीं था तो फिर, वहां की जेल में रातों रात नये अधीक्षक की तैनाती की क्या जरुरत पड़ गई? ए.के. सिंह शुक्रवार तक उन्नाव जेल में तैनात थे।
दो जेलों के अंदर की कहानी
उत्तर प्रदेश जेल महानिदेशालय सूत्रों के मुताबिक, “दरअसल चित्रकूट जेल कांड में ढेर किया गया शूटर मेराज मऊ के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का करीबी और विश्वासपात्र है। भागीरथी प्रयासों के बाद जैसे-तैसे सुप्रीम कोर्ट की मदद से मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल से निकाल कर यूपी सरकार उसे बांदा जेल में लाकर बंद कर पायी है। जिस दिन से मुंख्तार बांदा जेल में लाकर बंद किया गया है, उसी दिन से उत्तर प्रदेश की बाकी तमाम जेलों से कहीं ज्यादा “रिस्क जोन” वाली बांदा जेल अपने आप ही चर्चित हो गई है। भले ही जेल महकमे ने मुख्तार अंसारी को इस बार बांदा जेल की पिंजरानुमा कोठरी में बेहद सख्त पहरे में कैद करके रखा हो, मगर चूंकि पूरा यूपी जेल महकमा मुख्तार के मास्टरमाइंड से बखूबी वाकिफ है। वो अपनी गुंडई जमाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। बस उसे मौका हाथ लगने भर की देर है।”
समझिए एहतियाती इंतजामात के मायने
लिहाजा चित्रकूट जेल में जैसे ही मुख्तार का करीबी मेराज मारा गया, यूपी जेल प्रशासन और यूपी की हुकूमत ने आनन-फानन में हर एहतियाती कदम उठा लिया। ताकि किसी भी तरह से चित्रकूट जेल में हुए लोमहर्षक खूनी कांड सी पुनरावृत्ति कहीं किसी और जेल में देखने को न मिल जाये। चूंकि मेराज की जेल में हत्या को मुख्तार अंसारी को आसानी से पचा पाना संभव नहीं है। लिहाजा यूपी सरकार और जेल महानिदेशालय ने सबसे पहले बांदा जेल पर ही अपना पुख्ता नियंत्रण करने की सोची। ताकि चित्रकूट जेल में ढेर किये गये बदमाश मेराज को लेकर बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी कहीं मौका मिलने पर या फिर बौखलाहट में किसी और खूनी कांड को अंजाम न दिलवा बैठे। ऐसे में सबसे पहले जरुरी था बांदा जेल में किसी ऐसे दबंग और मुख्तार को करीब से जानने वाले जेल सुपरिंटेंडेंट की, जो किसी भी आपात स्थिति को संभाल पाने में सक्षम हो।
कोई टिप्पणी नहीं
thanks for comment...