सुप्रिम कोर्ट का बड़ा फैसला, एक झटके में टूटेगा 10 हजार घर
शीर्ष अदालत ने आवासीय मकानों को गिराने पर रोक लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया। एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहीं अधिवक्ता अपर्णा भट ने दलील दी कि सुनवाई आगे बढऩे के बावजूद, जबरन बेदखली की जा रही थी।
पीठ ने कहा कि याचिकाकतार्ओं को पुनर्वास योजना के तहत आने के लिए दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए बाध्य किया गया था, जो वे करने में विफल रहे हैं। पीठ ने कहा, हमने यह निवेदन दर्ज किया है कि वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण की मंजूरी कानून की उचित प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि निगम और राज्य सरकार पूर्व में दिए गई वचनबद्धता तथा 7 जून, 2021 के आदेश के आधार पर आगे बढ़ सकती है। हरियाणा सरकार ने कहा कि अतिक्रमणकारी अधिकारियों पर पत्थर फेंक रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा कि किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है और अधिकारियों को पता है कि क्या करना है। पीठ ने दोहराया कि अदालत में लंबित कार्यवाही अतिक्रमण हटाने में आड़े नहीं आएगी।
जनहित याचिका में अधिकारियों से किसी भी विध्वंस अभियान को चलाने से पहले पुनर्वास प्रक्रिया का पालन करने और मौजूदा कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बेदखल झुग्गीवासियों को अस्थायी आश्रय प्रदान करने का निर्देश देने की मांग की गई है। इससे पहले 7 जून को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि निगम को वन भूमि पर सभी अतिक्रमणों को कम से कम 6 सप्ताह में हटा देना चाहिए और हरियाणा वन विभाग के मुख्य सचिव और सचिव के हस्ताक्षर के तहत अनुपालन की रिपोर्ट करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय की है।
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