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    सुप्रिम कोर्ट का बड़ा फैसला, एक झटके में टूटेगा 10 हजार घर


    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा के फरीदाबाद जिले के खोरी गांव में वन भूमि पर अतिक्रमण के तहत बनाए गए 10,000 से अधिक आवासीय घरों को गिराए जाने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी ने ग्रामीणों की ओर से पेश एक वकील से कहा, हम चाहते हैं कि हमारी वन भूमि साफ हो जाए। हमने पर्याप्त समय दिया है, यदि आप इसे जारी रखना चाहते हैं तो यह आपके जोखिम पर है। यह वन भूमि है और कोई अन्य भूमि नहीं है।

    शीर्ष अदालत ने आवासीय मकानों को गिराने पर रोक लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया। एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहीं अधिवक्ता अपर्णा भट ने दलील दी कि सुनवाई आगे बढऩे के बावजूद, जबरन बेदखली की जा रही थी।


    इस पर पीठ ने जवाब दिया, हां उन्हें ऐसा करने दें। भट ने फिर से दलील देते हुए कहा कि महामारी के दौरान बेदखल किए जाने वाले बच्चों के लिए कम से कम एक अस्थायी आश्रय प्रदान किया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि इस मुद्दे की जांच करना हरियाणा सरकार पर निर्भर है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसकी राय में, इस स्तर पर उसके द्वारा कोई रिआयत या दयालुतापूर्ण व्यवहार दिखाने की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकतार्ओं को संबंधित नगर निगम में दस्तावेज पेश करने की अनुमति दी। पीठ ने जोर देकर कहा कि लोगों के पास फरवरी 2020 के बाद से वन भूमि खाली करने का पर्याप्त अवसर था।

    पीठ ने कहा कि याचिकाकतार्ओं को पुनर्वास योजना के तहत आने के लिए दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए बाध्य किया गया था, जो वे करने में विफल रहे हैं। पीठ ने कहा, हमने यह निवेदन दर्ज किया है कि वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण की मंजूरी कानून की उचित प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि निगम और राज्य सरकार पूर्व में दिए गई वचनबद्धता तथा 7 जून, 2021 के आदेश के आधार पर आगे बढ़ सकती है। हरियाणा सरकार ने कहा कि अतिक्रमणकारी अधिकारियों पर पत्थर फेंक रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा कि किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है और अधिकारियों को पता है कि क्या करना है। पीठ ने दोहराया कि अदालत में लंबित कार्यवाही अतिक्रमण हटाने में आड़े नहीं आएगी।

    जनहित याचिका में अधिकारियों से किसी भी विध्वंस अभियान को चलाने से पहले पुनर्वास प्रक्रिया का पालन करने और मौजूदा कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बेदखल झुग्गीवासियों को अस्थायी आश्रय प्रदान करने का निर्देश देने की मांग की गई है। इससे पहले 7 जून को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि निगम को वन भूमि पर सभी अतिक्रमणों को कम से कम 6 सप्ताह में हटा देना चाहिए और हरियाणा वन विभाग के मुख्य सचिव और सचिव के हस्ताक्षर के तहत अनुपालन की रिपोर्ट करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय की है।

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