रेलवे को 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम मिलने के बाद 4जी पर दौड़ेंगी ट्रेनें, जानिए कैसे आपकी यात्रा बन जाएगी बेहद सुरक्षित
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे को 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन की मंजूरी दे दी है। खुद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी घोषणा की। प्रकाश जावड़ेकर ने ये घोषणा करते हुए कहा कि इससे रेलवे को यात्रियों की सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिलेगी। अब यहां सवाल ये उठता है कि आखिर इस स्पेट्रम से रेलवे को ऐसा क्या मिल जाएगा कि यात्रियों की सुरक्षा में सुधार होगा। आइए रेलवे के इस फैसले को बारीकी से और आसान भाषा में समझते हैं।
आसान भाषा में कहें तो अब भारत की ट्रेनें 4जी पर दौड़ेंगी। हालांकि, रेलवे को जो स्पेक्ट्रम मिला है, उस पर वह 4जी और 5जी दोनों ही नेटवर्क डेवलप कर सकता है, लेकिन अभी रेलवे 4जी पर काम करेगा। फिलहाल रेलवे के पास सिर्फ 2जी स्पेक्ट्रम ही है, जिसकी वजह से सिग्नलिंग और संचार में कई बार दिक्कत होती है। इस स्पेक्ट्रम के साथ भारतीय रेलवे अपने मार्ग पर ‘एलटीई’ आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार प्रदान कर सकेगा। रेलवे अभी अपने संचार नेटवर्क के लिए ऑप्टिकल फाइबर पर निर्भर है, लेकिन नए स्पेक्ट्रम के आवंटित होने के बाद वह तेज रफ्तार वाले रेडियो का उपयोग कर सकेगा। 2जी और 4जी में कितना फर्क है, इसका अनुभव अभी पूरा देश कर रहा है। तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेलवे को 4जी स्पेक्ट्रम मिलना कितना बड़ा फैसला है।
प्रकाश जावड़ेकर का यात्रियों की सुरक्षा से सीधा मतलब ट्रेनों की टक्कर बचाव प्रणाली से है। भारतीय रेलवे ने स्वदेश में विकसित स्वचालित ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली को मंजूरी दी है। इस आवंटन से रेलवे के संचार और सिग्नलिंग नेटवर्क दोनों बेहतर हो जाएंगे। मौजूदा 2जी स्पेक्ट्रम में सिग्नलिंग नेटवर्क में कई बार देरी हो जाती है। 4जी अपनाने के बाद रेलवे में ये दिक्कतें दूर हो जाएंगी। सिग्नलिंग बेहतर बनने से दो ट्रेनों के बीच होने वाली टक्कर को रोकने वाली प्रणाली को बेहतर काम करने में मदद मिलेगी। इस स्पेक्ट्रम के चलते ट्रेन यात्रा पहले से सुरक्षित भी हो जाएगी और बेहतर भी। कैबिनेट ने टीसीएएस यानी ट्रेनों की टक्कर से बचाव की प्रणाली को भी मंजूरी दे दी है, जो ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम के तहत बनाया जा रहा है। टीसीएएस को 4 भारतीय कंपनियां मेक इन इंडिया के तहत बना रही हैं।
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