खुश्बू और खास रंग से युक्त 'गुलाब खास' पर कोरोना का ग्रहण
बहराइच। बाँसगांव संदेश (बी0एन0 सिंह)अपने खुशबू व रंग के बदौलत कई देशों में शुमार नवाबगंज के गुलाब खास आम के निर्यात पर कोरोना का ग्रहण लग गया है। संक्रमण के चलते कई महीनों से बंद चल रहे भारत-नेपाल बार्डर ने गुलाब खास आम की बिक्री को भारी चपत लगाई है। समय पूर्व हुई बारिश ने भी इस फसल को दोहरी मार दी है। बागबानों को फसल में 50 प्रतिशत तक नुकसान उठाना पड़ा है।
नवाबगंज ब्लॉक के बागानों में लगने वाले गुलाब खास आम की अपनी अलग ही पहचान है। अपनी खशबू व स्वाद के लिए जाने वाले गुलाब खास आम की मांग विदेशों तक होती है। गुलाब खास कारोबारियों की मानें तो नवाबगंज का गुलाब खास आम प्रदेश ही नहीं सऊदी अरब व पाकिस्तान समेत कई मुल्कों में जाता रहा है।
आम के निर्यात में बहराइच प्रदेश में विशेष स्थान रखता है। गुलाब जैसी सुगन्ध और लाल रंग का होने के कारण यह आम खाने के साथ-साथ देखने में भी मनमोहक होता है। यह भी दावा किया जाता है कि यह पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. जुल्फिकार अली भुट्टो को भी खासा पसंद था। गुलाब खास के स्वाद के दीवाने अरब के भी कई देश हैं। बड़े व्यापारी गुलाब ख़ास आमों को खरीद कर इसे दिल्ली, महाराष्ट्र के नासिक तथा नेपाल के काठमाण्डू, सुर्खेत, बांग्लादेश तक सप्लाई करते हैं। इस बार संक्रमण के चलते नेपाल बार्डर बंद होने से आम उत्पादकों को नुकसान हो रहा है। इस बार लगभग 30 प्रतिशत नुकसान होने की बात बता रहे हैं।
नवाब नवाजिश खां अफगानिस्तान से लाए थे कलम
गुलाब खास आम की कलम नवाब नवाजिश अली अफगानिस्तान के गजनी शहर से लेकर आए थे और अपने बगीचे में इसको लगवाया था। इसके बाद इसे नवाबगंज के कुछ और बागों में लगाया गया। जिले में नवाबगंज के अलावा गुलाब खास और कहीं नहीं पाया जाता है। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में भी यह आम काफी लोकप्रिय है। गुलाब खास आम नवाबगंज के शाही बाग में 10 हेक्टेयर में, बसउ गांव में तीन हेक्टेयर व पास की अमरूद की बाग में एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगा है। आम व्यवसायी सलीम अहमद, नक्कन, हबीब व दानू आदि ने बताया कि गुलाब खास आम की कीमत अन्य आमों की तुलना में तीन चार गुना ज्यादा होती है। सुंदर व जायकेदार होने के नाते लोग इसे अपने सगे संबंधियों को तोहफे में देते हैं।
बार्डर बंदी व बारिश से 50 प्रतिशत तक नुकसान
शाही बाग के 10 हेक्टेयर में गुलाब खास आम लगा हुआ है। हर साल इसकी नीलामी होती है। इस बार इस बाग की नीलामी 27 लाख में हुई थी। शाही बाग के रशीद अहमद ने बताया कि इस बार बार्डर बंद होने से बाहर की सप्लाई प्रभावित हुई है। उन्होंने बताया कि बार्डर खुला रहने पर कइयों को रोजगार भी मिलता था। मौसम की मार से आम डाल पर ही काला पड़ जा रहा है। जिससे इसकी बिक्री प्रभावित हो रही है। लगभग 50 प्रतिशत का नुकसान का अनुमान है। इस बार आम को ज्यादातर खुले ठेलों आदि के माध्यम से बिक्री किया जा रहा है। वहीं गुलाब खास आम कारोबारी आरिफ ने बताया कि 1 लाख 40 हजार में बाग का ठेका लिया था। लेकिन 60 से 70 हजार भी वापस आने की भी उम्मीद नहीं है। बारिश के चलते आम गिरकर सड़ रहा है वहीं बार्डर बंद होने से सस्ते दामों पर बिक्री करनी पड़ रही है। पिछले साल जहां 150-200 में यह बिक रहा था। इस बार 80-100 रुपए में बिक रहा है। यही समस्या जावेद अहमद, शाद, आरिफ आदि ने भी नुकसान की बात बताई।
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