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    जेल में लगा जैमर सिर्फ शो पीस है बनकर रह गया है


    देवरिया।
    जेल की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं, न तो यहां पर्याप्त बंदीरक्षक हैं और न ही बंदियों व परिसर की निगरानी के लिए वाच टावर लगा है। जिसके चलते सुरक्षा को लेकर जेल प्रशासन हमेशा भयभीत रहता है। कोई दिक्कत होने पर बाहर से फोर्स मंगानी पड़ती है। हालांकि जेल अधिकारी जल्द ही वाच टावर का निर्माण हो जाने का दावा कर रहे हैं। जिला कारागार में देवरिया के साथ ही कुशीनगर जनपद के भी बंदी बंद होते हैं। इस जेल की क्षमता तो 533 बंदियों के रखने की है, लेकिन इस समय इस जेल में क्षमता से तीन गुना 1600 बंदी बंद हैं। इनकी सुरक्षा के लिए 44 बंदी रक्षक व छह पीएसी के जवान हैं, मानक के अनुरुप यहां कम से कम डेढ़ सौ बंदी रक्षकों की तैनाती होनी चाहिए। इसके अलावा बंदियों व परिसर की सुरक्षा के लिए यहां वाच टावर की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन आज तक यहां वाच टावर नहीं बन सका है। जबकि गोरखपुर की महिला गैंगेस्टर समेत कई शातिर बदमाश कारागार में बंद हैं। मोबाइल जैमर बना शोपीस जिला कारागार में सुरक्षा के लिहाज से छह जैमर लगे हैं, लेकिन जैमर की नेटवर्क रोकने की क्षमता मात्र टूजी है, जबकि जिले में फोर जी मोबाइल नेटवर्क चल रहे हैं। ऐसे में अपराधी भी जेल के अंदर से मोबाइल के जरिये बात कर लेते हैं और जैमर फोर जी नेटवर्क के आगे शो-पीस बनकर रह गया है। कई बार जैमर की क्षमता बढ़ाने के लिए रिपोर्ट भी जिला कारागार प्रशासन से भेजी गई, लेकिन इसकी भी अनुमति नहीं मिल सकी है। जेल के जैमर की क्षमता बढ़ाने के लिए रिपोर्ट भेजी गई है। वाच टावर के लिए पुन: प्रस्ताव मांगा गया है। बंदियों की पर्याप्त तैनाती के लिए भी रिपोर्ट गई है।

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